
पाकिस्तान की राजनीति एक बार फिर सेनाशक्ति बनाम लोकतंत्र के तीखे टकराव की ओर बढ़ती दिखाई दे रही है। हाल ही में पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल की उपाधि से नवाजा गया, जो देश के इतिहास में इस पद को पाने वाले सिर्फ दूसरे सैन्य अधिकारी बन गए हैं। लेकिन इस सम्मान के तुरंत बाद ही पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और वर्तमान में जेल में बंद इमरान खान ने इस पदोन्नति को लेकर तीखा तंज कसा है।
राजा कहकर उठाए सवालइमरान खान ने सोशल मीडिया के जरिए अपने संदेश में कहा, जनरल मुनीर को फील्ड मार्शल नहीं बल्कि 'राजा' की उपाधि मिलनी चाहिए थी, क्योंकि पाकिस्तान में इस समय जंगल का कानून चल रहा है। उन्होंने यह आरोप लगाया कि वर्तमान शासन व्यवस्था में लोकतंत्र की जगह निरंकुशता ने ले ली है, और कानून का इस्तेमाल सिर्फ कमजोरों को दबाने के लिए हो रहा है। इमरान का यह बयान साफ तौर पर इस ओर इशारा करता है कि उन्हें सेना और सरकार की मिलीभगत से सत्ता से हटाया गया और जेल में डाला गया।
सिस्टम पर गंभीर आरोपअपने बयान में इमरान खान ने पाकिस्तान के न्यायिक तंत्र, नेशनल अकाउंटबिलिटी ब्यूरो (NAB) और शहबाज शरीफ सरकार पर भी जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि जिस देश में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपी प्रधानमंत्री बन जाते हैं, वहाँ कानून का कोई औचित्य नहीं बचता। इमरान ने आसिफ अली जरदारी की बहन के खिलाफ चल रही जांच और उस पर कार्रवाई न होने को उदाहरण के तौर पर सामने रखा।
न्यायपालिका पर सवालइमरान खान ने कहा कि जेल में रहते हुए भी उन्हें बार-बार तोशाखाना-2 जैसे मामलों में मजाकिया सुनवाई का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि अदालतें अब सेना के इशारे पर काम करती हैं और उनके वकीलों व परिजनों को उनसे मिलने की अनुमति नहीं दी जा रही है। उनका दावा है कि उन्हें न अपने डॉक्टर से मिलने दिया जा रहा है, न किताबें मिल रही हैं और न ही बच्चों से संवाद करने की इजाजत दी जा रही है।
भारत-पाक तनाव के बीच चेतावनीभारत के साथ बढ़ते तनाव और आतंरिक अस्थिरता के बीच इमरान ने पाकिस्तान की सरकार को चेताया है कि वे किसी भी आपात स्थिति के लिए तैयार रहें। उन्होंने कहा कि अगर मौजूदा सरकार और सेना वाकई पाकिस्तान के भविष्य की चिंता करती है, तो उन्हें राजनीति से ऊपर उठकर सार्थक संवाद की ओर बढ़ना होगा। हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट किया कि उनकी ओर से किसी प्रकार की डील या सौदेबाजी की कोशिश नहीं की जा रही है।
जम्हूरियत का गला घोंटा जा रहा हैइमरान खान के अनुसार, मौजूदा राजनीतिक और सैन्य गठजोड़ देश में जनवादी व्यवस्था (democracy) की हत्या कर रहा है। उन्होंने कहा, जब आप संदेश देते हैं कि चोर जितना बड़ा होगा, वह उतनी ऊँची कुर्सी पर बैठेगा, तो न्याय का जनाज़ा निकल जाता है।
आखिरी उम्मीद या सियासी दांव?इमरान खान की यह टिप्पणी उस समय आई है जब पाकिस्तान में आम चुनावों को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है और देश आर्थिक, सैन्य और राजनीतिक संकट के चौराहे पर खड़ा है। उनकी बातों को समर्थक जहाँ सच्चाई की आवाज़ बता रहे हैं, वहीं विरोधी इसे एक राजनीतिक नाटक के रूप में देख रहे हैं।
जनरल मुनीर की फील्ड मार्शल पद पर पदोन्नति पाकिस्तान के सैन्य प्रतिष्ठान के लिए एक बड़ा कदम है, लेकिन इसने राजनीतिक तनाव को भी नई हवा दे दी है। इमरान खान की जेल से की गई तीखी प्रतिक्रिया यह दिखाती है कि पाकिस्तान में सत्ता की असली लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है—बल्कि यह अब संस्थानों के चरित्र और लोकतंत्र की बुनियादी समझ के इर्द-गिर्द घूम रही है।