राजस्थान में जारी सियासी हलचल, शिवसेना ने नाव से कूदकर भागने वाले चूहे से की सचिन की तुलना

राजस्थान में कल दिन भर सियासी ड्रामा चलता रहा। आज भी हालात वैसे ही बने हैं। कल विधायक दल की बैठक में सचिन पायलट शामिल नहीं हुए थे वहीं, आज हुई बैठक में भी पायलट और उनके समर्थक विधायक नहीं पहुंचे। ऐसे में बैठक में शामिल नहीं हुए विधायकों के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया गया। इसके तहत इन्हें नोटिस जारी किया जाएगा और अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। सभी विधायकों ने एकमत से सचिन पायलट समेत 3 मंत्रियों को बर्खास्त करने पर सहमति जताई। पायलट को प्रदेश अध्यक्ष पद से भी हटाए जाएगा।

वहीं, राजस्थान में जारी सियासी हलचल के बीच शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र सामना की संपादकीय में बागी तेवर अख्तियार करने वाले सचिन पायलट की तुलना एक चूहे से की है। शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र सामना की संपादकीय में लिखा है, सचिन पायलट का अहंकार राज्य की सरकार को अस्थिर कर रहा है। शिवसेना ने इसके लिए शिवसेना ने भाजपा को जिम्मेदार ठहराया है।

शिवसेना ने लिखा, 'गलवान में सैनिकों की शहादत को भूलकर भाजपा राजस्थान में खरीद-फरोख्त में लगी है। एक ओर जहां देश कोरोना संकट से जूझ रहा है। वहीं, भाजपा ने कुछ अलग ही उपद्रव मचाया हुआ है। इस दौरान भाजपा ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिराई।'

शिवसेना ने लिखा, 'अपनी जीभ पर लगे खून के पचने के पहले ही राजस्थान में गहलोत सरकार को गिराकर डकार लेने की स्थिति में भाजपा दिख रही है। लेकिन यह संभव नहीं लगता। भाजपा इसके लिए खुलकर कुछ नहीं कर रही है। लेकिन सरकार को अस्थिर करने के लिए पर्दे के पीछे से उनका राष्ट्रीय कार्य चल ही रहा है।'

शिवसेना ने लिखा, 'मोदी और शाह द्वारा एक विशाल कार्यक्रम लागू करने और एक तूफान खड़ा करने के बावजूद भाजपा को राजस्थान में सत्ता नहीं मिली। लोग कांग्रेस की तरफ थे। बेशक पायलट ने इस जीत के लिए कड़ी मेहनत की, लेकिन जब आज पार्टी मुश्किल में है, तो उन्हें नाव से कूदकर भागनेवाले चूहे की तरह का काम करके खुद को कलंकित नहीं करना चाहिए।'

पायलट का यह कदम आत्मघाती

वहीं सचिन के लिए लिखा है, 'पायलट की महत्वाकांक्षा राजस्थान का मुख्यमंत्री बनने की है। फिलहाल वे उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष हैं। वे युवा हैं और भविष्य में उनके लिए मौका है, लेकिन पायलट द्वेष के कारण वे भविष्य में नहीं, बल्कि वर्तमान में ही एक बड़ी लड़ाई लड़कर मुख्यमंत्री पद हासिल करना चाहते हैं। यह कदम उनके लिए आत्मघाती साबित हो सकता है।'

शिवसेना ने लिखा, 'पायलट का अहंकार राजस्थान जैसे राज्य को अस्थिर कर रहा है, लेकिन केंद्रीय सत्ता का साथ मिले बिना ये सब संभव नहीं है। केंद्र सरकार विपक्षी सरकार को अस्थिर करने के सूत्र पर काम कर रही है।'

भाजपा क्या हासिल करना चाहती है

आखिर में संपादकीय में कहा गया है, 'देश के सामने कोरोना के कारण चरमराई अर्थव्यवस्था और लद्दाख में चीनी घुसपैठ सहित कई मुद्दे हैं। लद्दाख सीमा पर हमारे 20 सैनिकों का गिरा खून अभी भी ताजा है। इन सभी मुद्दों को सुलझाने की बजाय राजस्थान में कांग्रेस के भीतरी विवाद में टांग डालकर खरीद-फरोख्त को बढ़ावा देने का काम चल रहा है। रेगिस्तान में राजनीतिक उपद्रव का तूफान पैदा करके भाजपा क्या हासिल करना चाहती है? इससे संसदीय लोकतंत्र रेगिस्तान में बदल जाएगा। देश में भाजपा की पूरी सत्ता है। कुछ घरों को उन्हें विरोधियों के लिए छोड़ देना चाहिए। इसी में लोकतंत्र की शान है!'

फ्लोर टेस्ट के मूड में नहीं बीजेपी


बता दे, सचिन पायलट गुट 22 विधायक होने का दावा कर रहा है। जबकि अशोक गहलोत गुट का कहना है कि उनके पास बहुमत से ज्यादा संख्या है। लेकिन तस्वीर अभी स्पष्ट नहीं है। इस पर राजस्थान में नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने कहा है कि हम फ्लोर टेस्ट की मांग नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम बस वॉच कर रहे हैं। फ्लोर टेस्ट की मांग न करने के पीछे उन्होंने बताया कि किसके पास कितने विधायक हैं, ये अभी क्लियर नहीं है। ऐसे में जब विधायकों की संख्या पर तस्वीर पूरी तरह साफ नहीं हो जाती है तब तक फ्लोर टेस्ट की मांग नहीं की जाएगी।