बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना की शानदार जीत, जाने उनके जीवन से जुडी कुछ खास बातें...

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना रविवार को गोपालगंज-3 निर्वाचन क्षेत्र से एक तरह से निर्विरोध चुनाव जीत गयीं। उन्हें 2,29,539 वोट मिले, जबकि मुख्य प्रतिद्वंद्वी बीएनपी के उम्मीदवार को महज 123 वोट मिले। इस्लामी आंदोलन बांग्लादेश के उम्मीदवार मारूफ शेख को 71 जबकि बाकी उम्मीदवारों को कुल 14 वोट मिले। चुनाव आयोग के मुताबिक इस सीट पर कुल 2,29,747 वोट पड़े। चुनाव आयोग ने शाम में आधिकारिक तौर पर हसीना की जीत की घोषणा की। शुरुआती रुझानों के मुताबिक, प्रधानमंत्री की अवामी लीग पार्टी भारी अंतर से आगे है। पार्टी की जीत के साथ हसीना का चौथी बार प्रधानमंत्री बनने का रास्ता साफ हो जाएगा। आइए आपको बताते हैं शेख हसीना के बारे में।

कौन है शेख हसीना?

- शेख हसीना बांग्लादेश के स्वाधीनता संग्राम के अगुवा नेता और पहले राष्ट्रपति शेख मुजीबुर्रहमान की बेटी हैं।

- साल 1975 के तख्ता पलट ने उनके पिता, मां और तीन अन्य भाइयों की हत्या हो गई थी। हसीना के परिजनों की हत्या कुछ सैन्य अफसरों ने ही कर दी थी। जब परिजनों की हत्या हुई तो वह पति के साथ जर्मनी में थीं। परिवार की हत्या के बाद शेख हसीना को साल 1975 से साल 1981 तक दिल्ली में रहना पड़ा। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनकी गुजारिश पर देखते में उन्हें परिवार के साथ शरण दी थी। हसीना के साथ-साथ उनके पति वैज्ञानिक एमए वाजेद मियां और दोनों बच्चे दिल्ली स्थित पंडारा पार्क में रहते थे। कुछ दिनों बाद वह लाजपत नगर में रहने लगी थीं। हसीना जब भारत आईं तो यहां आपातकाल लगा हुआ था।

- हसीना पहली बार साल 1996 में देश की प्रधानमंत्री बनीं। इसके बाद साल 2001 से 2008 तक वह बांग्लादेश के संसद में विपक्ष की नेता रहीं। इस दौरान वह कई बार जेल गईं।

- साल 2004 में हसीना की हत्या की कोशिश हुई थी, जिसके आरोप में फिलहाल बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया जेल में हैं।

- साल 2009 के चुनावों में हसीना ने वापसी की और अब तक सत्ता पर काबिज हैं।

- हसीना के दूसरे कार्यकाल के दौरान जनवरी 2010 में उनके परिजनों की हत्या में शामिल सभी सैन्यकर्मियों को फांसी दे दी गई थी। साल 1996 में जब वह पहली बार प्रधानमंत्री बनी थीं तब सभी के खिलाफ ट्रायल शुरू हुआ था।

- साल 2009 की नौ मई को ही हसीना के पति एमए वाजेद का देहांत हो गया था। इस बीच, हसीना और उनकी पार्टी पर विपक्ष को दबाने के आरोपों का भी सामना करना पड़ा। आरोप लगाया जाता रहा है कि हसीना की सरकार में कई विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार किया गया और विपक्षी गठबंधन की एक छोटी इस्लामी पार्टी जमात-ए-इस्लामी को 2013 में चुनावों में भाग लेने से प्रतिबंधित कर दिया गया। हसीना की सरकार पर फ्रीडम ऑफ स्पीच को दबाने का आरोप भी लगता रहा है।

- शेख हसीना सरकार की नीतियां भारत के लिए सकारात्मक होती है। हसीना के पीएम बनने से उनकी प्रतिद्वंदियों की मुसीबत तो बढ़ेगी ही जेल में बंद आंशिक रूप से लकवाग्रस्त खालिदा जिया के संकट भी खत्म नहीं होंगे।

फिर से मतदान कराने की मांग की

बांग्लादेश के विपक्षी एनयूएफ गठबंधन ने रविवार को आम चुनाव के परिणाम को खारिज कर दिया और निष्पक्ष कार्यवाहक सरकार के अंतर्गत फिर से मतदान कराने की मांग की। इस गठबंधन में पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बीएनपी भी है । नेशनल यूनिटी फ्रंट (एनयूएफ) में मुख्य विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी), गोनो फोरम, जातीय समाजतांत्रिक दल-जेएसडी, नागोरिक ओइकिया और कृषक श्रमिक जनता लीग है।

एनयूएफ के संयोजक और गोनो फोरम पार्टी का नेतृत्व करने वाले कमल हुसैन ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हम परिणाम को खारिज करते हैं और निष्पक्ष सरकार के अंतर्गत नये चुनाव की मांग करते हैं।’’