
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व खिलाड़ी वीरेंद्र सहवाग के भाई विनोद सहवाग को चंडीगढ़ पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पुलिस की पीओ सेल की टीम ने उन्हें चेक बाउंस मामले में हिरासत में लिया। गिरफ्तारी के बाद विनोद सहवाग को कोर्ट में पेश किया गया, जहां उनके वकील ने तुरंत जमानत याचिका दायर कर दी। हालांकि, पुलिस ने उनकी जमानत का विरोध किया, और इस मामले में अभी अदालत का फैसला आना बाकी है।
चंडीगढ़ जिला अदालत में विनोद सहवाग के खिलाफ 7 करोड़ रुपये के चेक बाउंस का केस दर्ज है। यह केस बद्दी की कंपनी श्री नैना प्लास्टिक ने दिल्ली की जाल्टा फूड एंड बेवरेजेस और इसके तीन डायरेक्टर्स – विनोद सहवाग, विष्णु मित्तल और सुधीर मल्होत्रा के खिलाफ दायर किया था।
पिछले साल लोअर कोर्ट ने इन तीनों को बतौर आरोपी पेश होने के लिए समन जारी किया था, लेकिन अब विनोद सहवाग ने सेशंस कोर्ट में रिवीजन पिटीशन फाइल कर दी है। उन्होंने दावा किया कि उन्हें गलत तरीके से आरोपी बनाया गया है, क्योंकि वह न तो इस कंपनी के डायरेक्टर हैं, न ही इंप्लॉई और न ही उनका कंपनी के डे-टू-डे संचालन में कोई रोल है।
जानें पूरा मामलाश्री नैना प्लास्टिक कंपनी के वकील विकास सागर के अनुसार, जाल्टा फूड एंड बेवरेजेस ने उनकी कंपनी से लगभग 7 करोड़ रुपये के मटेरियल की सप्लाई का ऑर्डर दिया था। इस भुगतान के लिए जाल्टा कंपनी ने जून 2018 में 1-1 करोड़ रुपये के 7 चेक शिकायतकर्ता कंपनी को सौंपे।
हालांकि, जब इन चेक्स को बैंक में लगाया गया, तो फंड्स की कमी के कारण सभी चेक बाउंस हो गए। इसके बाद शिकायतकर्ता कंपनी ने जाल्टा कंपनी को इसकी जानकारी दी, लेकिन दो महीने बीतने के बावजूद चेक क्लियर नहीं हुए।
जब भुगतान नहीं किया गया, तो लीगल नोटिस भेजा गया, जिसमें 15 दिनों के भीतर पेमेंट करने की मांग की गई। इसके बावजूद भी भुगतान नहीं मिलने पर चेक बाउंस का मामला दर्ज कर दिया गया।
सहवाग के भाई ने ली थी जमानतपहले लोअर कोर्ट ने विनोद सहवाग समेत तीनों आरोपियों को बतौर आरोपी पेश होने के लिए समन जारी किया, लेकिन वे कोर्ट में पेश नहीं हुए। इसके चलते कोर्ट ने पहले बैलेबल वॉरंट, फिर नॉन-बैलेबल वॉरंट जारी किया।
इसके बावजूद जब वे कोर्ट नहीं पहुंचे, तो उनके खिलाफ भगोड़ा घोषित किए जाने (पीओ प्रोसीडिंग) की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। आखिरकार, 22 जुलाई 2019 को विनोद सहवाग कोर्ट पहुंचे, जहां उन्हें 2 लाख रुपये की श्योरिटी पर जमानत दे दी गई।
बाद में, उन्होंने अक्टूबर 2019 में समनिंग ऑर्डर को सेशंस कोर्ट में चैलेंज कर दिया।