95 साल की उम्र के पिता की अर्थी को 7 बेटियों ने दिया कंधा, भर आई सभी की आंखें

राजस्थान के बूंदी में एक अनोखा नजारा देखने को मिल जिसने सभी की आंखें नम कर दी। यहां पिता की अर्थी को जब 7 बेटियों ने कंधा देकर विदा किया तो लोगों की आंखें भर आईं। जिस पिता का हाथ पकड़कर चलना सीखा, लाड-प्यार से पाला, बड़ा किया। अपने पैरों पर खड़ा किया। उसी बेटियों ने पिता के शव को ना केवल कंधा दिया, बल्कि श्मशान में मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार भी किया। कस्बे के मुख्य मार्गों से होते हुए जब अंतिम यात्रा निकली तो बेटियों के पिता को कंधा देते देख गमगीन माहौल हो गया। बड़ी बेटी कमला देवी ने बताया कि हमारे भाई नहीं था, पिता ने सभी बेटियों को भाई की कमी नहीं खलने दी और हाथ से हाथ मिला कर बराबरी करना सिखाया। 5 साल पहले मां बुरी बाई का निधन हो चुका है।

बूंदी जिले के बाबाजी का बड़ा निवासी रामदेव कलाल (95) की बीमारी के चलते मंगलवार सुबह मौत हो गई। वे पेशे से किसान थे। उनका एक भी बेटा नहीं था, 7 बेटियां थीं। पिता की मौत की खबर सुनकर बेटी सुवालका काछोला बूंदी निवासी कमला देवी, शंकर नगर भीलवाड़ा निवासी मोहिनी देवी, इंद्ररगढ़ बूंदी निवासी गीता देवी, हिंडोली बूंदी निवासी मूर्ति देवी, शंकर नगर भीलवाड़ा निवासी पूजा देवी, टोडारायसिंह टोंक निवासी श्यामा देवी और हिंडोली बूंदी निवासी ममता देवी पिता को कंधा देने के लिए पहुंचीं। हिंडोली कस्बे से होते हुए कलाल समाज के मुक्तिधाम में रीति-रिवाज के साथ मुखाग्नि दी।