बहराइच से बीजेपी सांसद सावित्रीबाई फुले हुईं भाजपा से अलग, कहा - समाज को बांटने का काम कर रही है BJP

बहराइच से बीजेपी सांसद सावित्री बाई फुले (Savitri Bai Phule) ने गुरुवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। दरहसल, सावित्रीबाई फुले (Savitri Bai Phule) कई मुद्दों को लेकर बीजेपी (BJP) से नाराज चल रहीं थीं। उन्होंने बीजेपी पर समाज को बांटने का आरोप लगाते हुए इस्तीफे का ऐलान किया। फुले ने आरोप लगाया कि दलित होने के नाते पार्टी में उनकी सुनी नहीं जा रही थी। उन्होंने कहा, 'पुन: विहिप, भाजपा और आरएसएस से जुड़े संगठनों द्वारा अयोध्या में 1992 जैसी स्थिति पैदा कर समाज में विभाजन एवं सांप्रदायिक तनाव की स्थिति पैदा करने की कोशिश की जा रही है। इसलिए आहत होकर मैं भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रही हूं।'

योगी आदित्यनाथ पर तंज

सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) पर तंज कसते हुए सांसद ने कहा योगी का दलित प्रेम सिर्फ दिखावा है अगर उन्हें दलितों से प्रेम है तो दलितों को गले लगाएं दलितों का सम्मान करें। सांसद सावित्री ने यह भी कहा देश में जितनी भी मंदिर है वहां दलितों को ही पुजारी रखा रखा जाना चाहिए क्योंकि 3% पंडित ही हर जगह कब्जा जमाए हुए हैं। सांसद सावित्री बाई फुले ने कहा कि आज मंदिर और कुंभ मेले के नाम पर सैकड़ों करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। अगर यही पैसे गरीबों में बांट दिया जाए तो शायद गरीबों की गरीबी कम हो जाएगी। उन्होंने कहा कि 4 साल तक इन लोगों को मंदिर के नाम का बिल्कुल भी याद नहीं रहा।

आरक्षण खत्म करने की बनाई जा रही है योजना

सावित्री बाई फुले ने यह भी कहा कि आरक्षण खत्म करने की कोशिश की जा रही है। संविधान को खत्म करने की योजना बनाई जा रही है। इस्तीफे के साथ ही 23 दिसंबर को लखनऊ के रमाबाई मैदान में महारैली का ऐलान भी कर दिया। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान की रक्षा के लिए लखनऊ की रैली में बड़ा धमाका करेंगी। संविधान और आरक्षण के आंदोलन को अब वे आगे बढ़ाएंगी। उन्होंने साफ किया कि वे सांसद के पद से इस्तीफा नहीं देंगी। गौरतलब है कि पिछले कुछ महीनों से सावित्री बाई फुले लगातार पार्टी और अपनी सरकार पर हलवार थीं। उन्होंने आरक्षण और एससी/एसटी एक्ट में संशोधन को लेकर भी मोर्चा खोला था। वह लगातार अपने बयानों को लेकर सुर्ख़ियों में भी थीं। बीजेपी सांसद ने दावा करते हुए कहा कि क्योंकि वे दलित थे। इतना ही नहीं उन्होंने भगवान राम को शक्तिहीन बताते हुए यहां तक कह डाला कि अगर उनमें शक्ति होती तो मंदिर बन जाता।

हनुमान जी मनुवादियों के गुलाम थे

एक दिन पहले ही भगवान हनुमान के विवाद में कूदते हुए सावित्रीबाई फुले ने सीएम योगी के दावों का समर्थन किया था। उन्होंने कहा था कि हनुमान जी दलित थे। मगर एक कदम आगे बढ़कर उन्होंने यह भी कहा कि हनुमान जी मनुवादियों के गुलाम थे। सावित्रीबाई फुले ने मंगलवार को कहा, ‘हनुमान दलित थे और मनुवादियों के गुलाम थे। अगर लोग कहते हैंं कि भगवान राम हैं और उनका बेड़ा पार कराने का काम हनुमान जी ने किया था। उनमें अगर शक्ति थी तो जिन लोगों ने उनका बेड़ा पार कराने का काम किया, उन्हें बंदर क्यों बना दिया? उनको तो इंसान बनाना चाहिये था लेकिन इंसान ना बनाकर उन्हें बंदर बना दिया गया। उनको पूंछ लगा दी गई, उनके मुंह पर कालिख पोत दी गयी। चूंकि वह दलित थे इसलिये उस समय भी उनका अपमान किया गया।'