जानिए वल्लभ भाई पटेल के 'सरदार' बनने की कहानी और कैसे मिली उन्हें लौहपुरुष की उपाधि

सरदार वल्लभ भाई पटेल Sardar Vallabhbhai Patel आजाद भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री और गृह मंत्री थे। आधुनिक भारत के निर्माता कहे जाने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नाडियाड में हुआ था। हर साल 31 अक्टूबर (31 October) को सरदार पटेल की जयंती मनाई जाती है। देश की आजादी में वल्लभ भाई पटेल का बेहद खास योगदान है। उन्हें खासतौर पर खेड़ा सत्याग्रह के लिए जाना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वल्लभ भाई पटेल को सरदार की उपाधि कैसे मिली। साल 1928 में गुजरात में बारडोली सत्याग्रह हुआ जिसका नेतृत्व वल्लभ भाई पटेल ने किया। यह प्रमुख किसान आंदोलन था। उस समय प्रांतीय सरकार किसानों से भारी लगान वसूल रही थी। सरकार ने लगान में 30 फीसदी वृद्धि कर दी थी। जिसके चलते किसान बेहद परेशान थे। वल्लभ भाई पटेल (Sardar Patel) ने सरकार की मनमानी का कड़ा विरोध किया। सरकार ने इस आंदोलन को कुचलने की कोशिश में कई कठोर कदम उठाए। लेकिन अंत में विवश होकर सरकार को पटेल के आगे झुकना पड़ा और किसानों की मांगे पूरी करनी पड़ी। दो अधिकारियों की जांच के बाद लगान 30 फीसदी से 6 फीसदी कर दिया गया। बारडोली सत्याग्रह की सफलता के बाद वहां की महिलाओं ने वल्लभ भाई पटेल को 'सरदार' की उपाधि दी।

सरदार पटेल ने किया था 562 देशी रियासतों का एकीकरण, कहलाए गए लौहपुरुष

आजादी के बाद भारत को एकीकृत करने में सरदार पटेल की अद्वितीय भूमिका थी। तकरीबन 562 रियासतों में बंटे भारत को एक राष्ट्र बनाने के लिए सरदार पटेल ने काफी पसीना बहाया। उन्होंने जूनागढ़ और हैदराबाद जैसे विवादित रियासत को भी अपनी चतुराई और कूटनीतिक कौशल से भारत में मिला दिया था। इसी वजह से महात्मा गांधी ने उन्हें लौहपुरुष की उपाधि प्रदान की थी।

हैदराबाद के निजाम को यूं सिखाया था सबक

हैदराबाद के निजाम उस्मान अली खान आसिफ ने स्वतंत्र रहने का फैसला किया। निजाम ने फैसला किया कि वे न तो भारत और न ही पाकिस्तान में शामिल होंगे। सरदार पटेल ने हैदराबाद के निजाम को खदेड़ने के लिए ऑपरेशन पोलो चलाया। साल 1948 में चलाया गया ऑपरेशन पोलो एक गुप्त ऑपरेशन था। इस ऑपरेशन के जरिए निजाम उस्मान अली खान आसिफ को सत्ता से अपदस्त कर दिया गया और हैदराबाद को भारत का हिस्सा बना लिया गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी PM Narendra Modi आज लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल Sardar Vallabhbhai Patel की जयंती Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti के मौके पर गुजरात Gujarat के नर्मदा जिले में ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी Statue Of Unity’ राष्‍ट्र को समर्पित करेंगे। पटेल की 182 मीटर ऊंची यह प्रतिमा ‘स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी’ से दोगुनी ऊंची है और नर्मदा जिले में सरदार सरोवर बांध के पास साधु बेट टापू पर खड़ी होगी। चीन स्थित स्प्रिंग टेंपल की 153 मीटर ऊंची बुद्ध प्रतिमा के नाम अब तक सबसे ऊंची मूर्ति होने का रिकॉर्ड था। मगर सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा ने अब चीन में स्थापित इस मूर्ति को दूसरे स्थान पर छोड़ दिया है। 182 मीटर ऊंचे 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' का आकार न्यूयॉर्क के 93 मीटर उंचे 'स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी' से दोगुना है। सरदार पटेल को 1991 में भारत का सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न दिया जा चुका है। साल 1950 के 15 दिसंबर को लौहपुरुष का मुंबई में निधन हो गया। सरदार पटेल महात्मा गांधी के सबसे बड़े समर्थकों में गिने जाते हैं। उनके जीवन में गांधी के दर्शन का काफी प्रभाव था। उन्होंने देश के लोगों के लिए अपने जीवनकाल में अनेक प्रेरक वचन कहे थे। ये प्रेरक वचन भारत की जनता के लिए पथ प्रदर्शक का काम करती हैं। आज हम आपके लिए उनके ऐसे ही प्रेरक वचन लेकर आए हैं।