तत्काल टिकट की टेंशन खत्म, अवैध सॉफ्टवेयरों का हुआ सफाया, 60 एजेंट गिरफ्तार

रेल में सफर करने वाले यात्रिओं को अक्सर यह शिकायत रहती है कि तत्काल टिकट की बुकिंग शुरू होते ही दो मिनट में सारे टिकट बुक हो जाते थे। इसकी वजह थे एजेंट जो सॉफ्टवेयर की मदद से कुछ ही मिनटों में तत्काल टिकट बुक कर लेते थे। लेकिन सरकार के इस कदम के बाद इस परेशानी से छुटकारा मिल जायेगा। आरपीएफ (RPF) ने एजेंटों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है जिससे अब दो मिनट में ही तत्काल टिकट खत्म नहीं होंगे और यात्री आसानी से टिकट बुक कर पाएंगे। दरअसल, एजेंट सॉफ्टवेयर की मदद से तत्काल टिकट मिनटों में बुक कर लेते थे। रेलवे ने अवैध सॉफ्टवेयरों का सफाया करते हुए उन 60 एजेंटों को गिरफ्तार किया है जो ऐसे तरीकों से टिकटों की बुकिंग कर लेते थे। रेलवे अधिकारियों ने कहा कि एएनएमएस, मैक और जगुआर जैसे अवैध सॉफ्टवेयर आईआरसीटीसी के लॉगिन कैप्चा, बुकिंग कैप्चा और बैंक ओटीपी की बाइपास करते हैं। वास्तविक ग्राहकों को इन सभी प्रक्रियाओं से गुजरना होगा। उन्होंने बताया कि एक सामान्य ग्राहक के लिए बुकिंग प्रक्रिया में आमतौर पर लगभग 2.55 मिनट लगते हैं, लेकिन ऐसे सॉफ्टवेयरों का उपयोग करने वाले इसे लगभग 1.48 मिनट में पूरी कर लेते।

आपको बता दे, रेलवे एजेंटों को तत्काल टिकट बुक करने की अनुमति नहीं देता लेकिन इन सॉफ्टवेयरों की मदद से यह लोग टिकट बुक कर लेते थे। ऐसे में अन्य लोगों के लिए तत्काल टिकट प्राप्त करना वस्तुत: असंभव हो गया।

रेलवे के इस कदम से अब यात्रियों के लिए अधिक संख्या में तत्काल टिकट उपलब्ध हो सकेंगे। इस कार्रवाई के बाद यात्रियों के लिए अब तत्काल टिकट घंटों तक उपलब्ध होंगे, जबकि पहले बुकिंग खुलने के बाद एक या दो मिनट पहले तक ही उपलब्ध होते थे।

जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है उनमें कोलकाता का एक व्यक्ति भी है और संदेह है कि उसका संपर्क बांग्लादेश स्थित आतंकवादी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश से है। महानिदेशक ने पिछले महीने कहा था कि एक ई-टिकट गिरोह का पर्दाफाश किया गया है जिसके तार आतंकवाद के वित्तपोषण और धनशोधन से जुड़े हो सकते हैं।