नई दिल्ली। आज जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार रसोई के सामान महंगे होने से जून में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 5.08 प्रतिशत हो गई। इस साल मई में औद्योगिक उत्पादन में 5.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिसका मुख्य कारण खनन और बिजली क्षेत्रों का अच्छा प्रदर्शन रहा।
शुक्रवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, देश में खुदरा मुद्रास्फीति जून में बढ़कर 5.08 प्रतिशत हो गई, जबकि मई में यह 4.8 प्रतिशत थी। इस बीच, मई में औद्योगिक उत्पादन बढ़कर 5.9 प्रतिशत हो गया, जबकि एक साल पहले इसी महीने में यह 5.7 प्रतिशत बढ़ा था।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति मई 2024 में 4.8 प्रतिशत और जून 2023 में 4.87 प्रतिशत (पिछला निम्नतम) थी।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, जून में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 9.36 प्रतिशत रही, जो मई में 8.69 प्रतिशत थी।
सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा है कि सीपीआई मुद्रास्फीति 2 प्रतिशत के मार्जिन के साथ 4 प्रतिशत पर बनी रहे।
आरबीआई ने 2024-25 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, जिसमें पहली तिमाही 4.9 प्रतिशत, दूसरी तिमाही 3.8 प्रतिशत, तीसरी तिमाही 4.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही 4.5 प्रतिशत रहेगी।
केंद्रीय बैंक अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति तय करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति को ध्यान में रखता है।
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के संदर्भ में मापा गया कारखाना उत्पादन मई 2023 में 5.7 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। मई 2024 में भारत का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक 5.9 प्रतिशत बढ़ा। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों से पता चला है कि विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन मई 2024 में 4.6 प्रतिशत तक धीमा हो गया, जबकि एक साल पहले इसी महीने में यह 6.3 प्रतिशत था।
इस साल मई में खनन उत्पादन 6.6 प्रतिशत बढ़ा और बिजली उत्पादन 13.7 प्रतिशत बढ़ा। इस वित्त वर्ष अप्रैल-मई के दौरान आईआईपी में 5.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह 5.1 प्रतिशत था।