उत्तर प्रदेश में चौबीस साल का रिकार्ड तोड़ने वाले तूफान के आगे मुगलकालीन ताजमहल भी कांप उठा। दो दिन पहले आए बवंडर ने विश्व प्रसिद्ध स्मारक ताजमहल को भारी नुकसान पहुंचाया। रॉयल गेट के ऊपर लगा करीब 12 फीट ऊंचा पिलर टूटकर गिर पड़ा। दक्षिणी गेट के पर लगा आठ फीट ऊंचा पिलर भी टूट गया। सरहिदी बेगम (सहेली बुर्ज) के मकबरे की छत का गुलदस्ता नीचे आ गया। परिसर में कई पेड़ धराशायी हो गए हैं। दर्जनों पेड़ धराशायी हो गए।
ताजमहल के इतिहास में इतना नुकसान कभी नहीं पहुंचा। तूफान आने पर जब कभी पत्थर टूटे कलश गिरा या फिर गुलदस्ते गिर गए, लेकिन इस बार जो तबाही हुई वह इतिहास में दर्ज हो गई। 1632 से 1648 के बीच बने ताजमहल के बाद पहली बार स्मारक की मीनारों को नुकसान पहुंचा है। इस तबाही में आठ मीनों ध्वस्त हो गईं।
इनमें एक-एक रॉयल और दक्षिणी गेट की तथा सहेली बुर्ज की छह मीनारें पूरी तरह से नष्ट हो गईं। स्मारक के फोरकोर्ट से लेकर गार्डन तक में खड़े कई पेड़ पूरी तरह से टूट गए। शाही मस्जिद की बुर्जी भी तूफान की भेंट चढ़ गई। दिव्यांगों के लिए बनाए गए रैंप को भी काफी नुकसान पहुंचा है। पश्चिमी गेट पर लगा एक पत्तर और स्मारक के कुछ अन्य हिस्सों के भी पत्तर भरभराकर गिर गए।
पुरातत्व विभाग तूफान से ताजमहल में हुए भारी नुकसान का आंकलन कर रहा है। अभी तक जो आंकलन किया गया है उसके अनुसार सिर्फ ताजमहल में ही एक करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है। इसका प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। एएसआई के संयुक्त निदेशक जाह्नवी शर्मा ने ‘हिन्दुस्तान’ को बताया कि ताजमहल में भारी नुकसान हुआ है। ये पहले कभी नहीं देखा गया। इसका काम तत्काल शुरू कराया जाएगा।
ताजमहल में संरक्षण का कार्य देख रहे वरिष्ठ संरक्षण सहायक अमरनाथ गुप्ता का कहना है कि प्रस्ताव तैयार कर मुख्यालय को भेजा जाएगा। वहां से स्वीकृति मिलते ही काम शुरू करा दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि जो नुकसान हुआ है वह ऊंचे हिस्सों पर है। इस कारण पहले पाड़ बांधी जाएगी। उन्होंने बताया कि लगभग डेढ़ माह में निर्माण का कार्य पूरा होने की उम्मीद है।