हिंदी भाषा हमारे देश में व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा हैं और इस भाषा के सम्मान में ही 14 सितम्बर का दिन हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता हैं। लेकिन देखा जा रहा है कि आज के समय में सभी पाश्च्यात्य संस्कृति को अपनाते हुए अंग्रेजी पर ज्यादा जोर देने लगे हैं। यहाँ तक कि आजकल देश के विद्यालयों में भी हिंदी को इतना महत्व नहीं दिया जाता हैं, जो कि बहुत गलत बात हैं। इसलिए हिन्दी दिवस का मनाया जाना और हिंदी की महत्ता को जानना बहुत जरूरी हैं। खासतौर पर स्कूलों में तो हिंदी दिवस मनाया ही जाना चाहिए।
बच्चे इन दिनों एक अलग मानसिकता के साथ बड़े होते हैं। उनके हिसाब से जो व्यक्ति अंग्रेजी बोलता है वह सब कुछ जानता है और अन्य लोग, जो अंग्रेजी नहीं जानते, के मुकाबले बेहतर हैं। जो लोग साक्षात्कार या अन्य जगहों पर हिंदी बोलते हैं उन्हें कमतर आंका जाता है। इस मानसिकता को बदला जाना चाहिए।
यह सच है कि अंग्रेजी एक वैश्विक भाषा है और इसे विशेष रूप से कॉर्पोरेट जगत में प्राथमिकता दी जाती है और छात्रों को मौखिक और लिखित रूप से प्रयोग में लाने वाली अंग्रेजी को सुधारना गलत नहीं है। हालांकि उन्हें यह नहीं समझना चाहिए कि हिंदी किसी भी वजह से अंग्रेजी से कम है। यह समय है कि विद्यार्थियों को दोनों भाषाओं, अंग्रेजी और हिंदी, को एक जैसा मानना और सम्मान करना सिखाया जाना चाहिए।
जैसे विद्यालय दीवाली, स्वतंत्रता दिवस और जन्माष्टमी जैसे अन्य विशेष अवसरों पर मजेदार गतिविधियों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं उसी तरह उन्हें अपनी मातृभाषा को सम्मान देने के लिए हिंदी दिवस को मनाना चाहिए।
हिन्दी दिवस हमारी राष्ट्रीय भाषा हिंदी को सम्मान देने का एक शानदार तरीका है। नई पीढ़ी पश्चिमी संस्कृति और अंग्रेजी भाषा से अधिक प्रभावित है और उनका आँख बंद करके पालन कर रही है। यह दिन उनकी संस्कृति की याद दिलाने का एक अच्छा तरीका है जो उनके चरित्र-निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है।