भारत छोड़ो आन्दोलन अर्थात अगस्त आन्दोलन महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए देश को आजादी दिलाने वाले बड़े आन्दोलनों में से एक हैं। जिसे 9 अगस्त को 76 साल पूरे होने वाले हैं। हांलाकि यह आन्दोलन देश को आजादी नहीं दिला सका लेकिन इसने अंग्रजी हुकूमत की नींव को कमजोर कर दिया था। जिसके पीछे का कारण बनी थी देश की जनता, जिन्होनें लीडर के अभाव में भी इस आन्दोलन का प्रभाव बनाए रखा। आज हम आपको इस आन्दोलन के पीछे के मुख्य कारणों के बारे में बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं उनके बारे में।
* सर्वप्रथम क्रिप्स योजना से ब्रिटिश सरकार का रवैया स्पष्ट हो गया था। इंग्लैंड भारत में सही ढंग से संवैधानिक गतिरोध को दूर करना नहीं चाहता था। क्रिप्स-प्रस्ताव के माध्यम से सरकार यह सिद्ध करना चाहती थी कि कांग्रेस भारत की आम जनता की प्रतिनिधि संस्था नहीं है। भारत में एकता का अभाव है। अतः सत्ता का हस्तान्तरण संभव नहीं है।
* भारत पर जापानी आक्रमण की आशंका बढ़ गई थी। सिंगापुर, मलाया और बर्मा को छोड़ने के लिए अंग्रेजों को विवश हो जाना पड़ा। बंगाल छोड़ने के पहले सत्ता भारतीयों के हाथ में हस्तांतरित करने के लिए अगस्त-आन्दोलन प्रारम्भ किया गया था।
* बर्मा पर जापानी आक्रमण के समय शरणार्थियों के साथ अंग्रेजी सरकार ने भेदभाव की नीति अपनाई थी। भारतीयों को कष्टदायक स्थिति में रखा जा रहा था और भारतीय सैनिकों के साथ बुरा व्यवहार किया जाता था। भारतीयों के साथ ब्रिटिश सरकार के व्यवहार से क्षुब्ध होकर गाँधी ने अगस्त-आन्दोलन की घोषणा की।
* पूर्वी बंगाल में सरकार ने आतंक का राज्य कायम कर रखा था। सैनिकों को रखने के लिए बलपूर्वक घर खाली करवा लिया गया था। बिना मुआवजा दिए भूमि अर्जित कर ली गई थी। सरकार की तानाशाही के विरोध में आन्दोलन प्रारम्भ करना आवश्यक हो गया था।
* युद्धकाल में भारत की स्थिति संकटपूर्ण बन गई थी। मूल्य में बहुत अधिक वृद्धि हुई। कागजी मुद्रा का प्रचार हुआ। जन-साधारण को जीवनयापन में अत्यधिक कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था। अतः आर्थिक असंतोष हिंसक क्रान्ति का रूप ले सकता था। ऐसी अवस्था में गांधीजी ने भारत छोड़ो आन्दोलन की घोषणा की और भारत को स्वतंत्र बनाने के लिए “करो या मरो” का मन्त्र दिया।