नए साल से पहले आम आदमी को लगा झटका, सभी तरह के लोन हो जाएंगे महंगे, RBI ने फ‍िर की रेपो रेट में बढ़ोत्तरी

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई में तीन दिन तक चली मौद्रिक नीति समिति (MPC) के नतीजे सामने आ गए है। इस साल लगातार पांचवीं बार रेपो रेट में बढ़ोतरी की गई है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने रेपो रेट में 0.35 फीसदी की बढ़ोतरी करने काऐलान किया है। RBI के मुताबिक अब रेपो रेट 5.90 फीसदी से बढ़कर 6.25 फीसदी हो जाएगा। इसके बाद से अब तक रेपो रेट में 1.90 फीसदी की वृद्धि हो चुकी है। इससे पहले 30 स‍ितंबर को केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट को 0.5 प्रत‍िशत बढ़ाकर5.90 फीसदी कर द‍िया था। इससे पहले 5 अगस्त को 0.5 प्रतिशत, 8 जून को 0.5 प्रत‍िशत और 4 मई को रेपो रेट में 0.4 प्रत‍िशत की बढ़ोतरी की गई थी। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास का कहना है कि हमारा लक्ष्य देश में महंगाई दर को 6 फीसदी के तय टारगेट के नीचे लाना है। बता दें कि अक्टूबर में देश में रिटेल महंगाई गिरकर 6.77 फीसदी पर आ गई है।

रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर रिजर्व बैंक अन्‍य बैंकों को कर्ज देता है। जाहिर है कि अगर बैंकों के लिए आरबीआई से कर्ज उठाना महंगा होगा तो बैंक इसका बोझ आम आदमी पर भी डालेंगे। इस फैसले के साथ ही अब होम लोन समेत सभी तरह के लोन महंगे हो जाएंगे और लोगों को ज्यादा EMI भरनी होगी। मंगलवार को वर्ल्‍ड बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिए देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर के अनुमान को 6.5 फीसदी से बढ़ाकर 6.9 फीसदी कर दिया है।

FY23 में 6.8 फीसदी जीडीपी का अनुमान

इसके साथ ही आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट 6.8 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। इससे पहले केंद्रीय बैंक ने 7 फीसदी का अनुमान जताया था। उन्होंने कहा कि ग्लोबल चुनौतियां के बावजूद भारत की ग्रोथ रेट संतुलित है। उन्होंने कहा कि डिमांड में इजाफा हुआ है, खासकर ग्रामीण इलाकों में डिमांड बढ़ी है, जिससेअर्थव्यवस्था को सपोर्ट मिल रहा है।

Repo Rate का ईएमआई पर असर


रेपो दर (Repo Rate) रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई (RBI) बैंकों को कर्ज देता है, जबकि रिवर्स रेपो रेट उस दर को कहते हैं जिस दर पर बैंकों को RBI पैसा रखने पर ब्याज देती है। Repo Rate के कम होने से लोन की EMI घट जाती है, जबकि रेपो रेट में बढ़ोतरी से सभी तरह का Loan महंगा हो जाता है और इसी क्रम में EMI में भी इजाफा देखने को मिलता है।