रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने आज रेपो रेट में कटौती की है। आरबीआई ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती कर दी है। ताजा कटौती के बाद रेपो रेट 5.75 फीसदी पर आ गया है। यह पिछले 9 साल में सबसे कम है।
ब्याज दरें घटाने का मतलब है कि अब बैंक जब भी RBI से फंड (पैसे) लेंगे, उन्हें नई दर पर फंड मिलेगा। सस्ती दर पर बैंकों को फंड मिलेगा तो इसका फायदा बैंक अपने उपभोक्ता को भी देंगे। यह राहत आपके साथ सस्ते कर्ज और कम हुई EMI के तौर पर बांटी जाती है। इसी वजह से जब भी रेपो रेट घटता है तो आपके लिए कर्ज लेना सस्ता हो जाता है। साथ ही जो कर्ज फ्लोटिंग हैं उनकी ईएमआई भी घट जाती है।
50 लाख रुपये का होम लोन लिया हुआअगर आपने 50 लाख रुपये का होम लोन लिया हुआ है। वहीं, इसकी अवधि 20 साल है। मौजूदा दर 8.60 फीसदी के हिसाब से आपकी EMI 44,505 रुपये बैठती है। अब बैंक भी आरबीआई के बाद 0.25 फीसदी दरें घटाने का फैसला लेता है तो नई ब्याज दर 8.35 हो जाएगी। अब आपकी नई EMI 43,708 रुपये होगी। इस तरह से आप हर महीने 797 रुपये की बचत कर पाएंगे।
30 लाख रुपये का होम लोन लिया हुआअगर आपने 30 लाख रुपये का होम लोन लिया हुआ है। वहीं, इसकी अवधि 20 साल है। मौजूदा दर 8.60 फीसदी के हिसाब से आपकी EMI 26,225 रुपये बैठती है। अब बैंक भी आरबीआई के बाद 0.25 फीसदी दरें घटाने का फैसला लेता है तो नई ब्याज दर 8.35 हो जाएगी। अब आपकी नई EMI 25,751 रुपये होगी। इस तरह से आप हर महीने 474 रुपये की बचत कर पाएंगे।
20 लाख रुपये का होम लोन लिया हुआअगर आपने 20 लाख रुपये का होम लोन लिया हुआ है। वहीं, इसकी अवधि 20 साल है। मौजूदा दर 8.60 फीसदी के हिसाब से आपकी EMI 17,483 रुपये बैठती है। अब बैंक भी आरबीआई के बाद 0.25 फीसदी दरें घटाने का फैसला लेता है, तो नई ब्याज दर 8.35 हो जाएगी। अब आपकी नई EMI 17,167 रुपये होगी। इस तरह से आप हर महीने 316 रुपये की बचत कर पाएंगे।
आरबीआई क्रेटिड पॉलिसी के दौरान रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट और सीआरआर जैसे शब्द हमें जरुर सुनने में मिलते है। पर क्या आप इन शब्दों के मतलब जानते हैं। आज हम आपको इसका मतलब और मायने बता रहे हैं। रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया की आर्थिक समीक्षा नीतियों से जुड़े इन शब्दों के बारे में जानिए।
क्या है रेपो रेट (Repo Rate) / रिवर्स रेपो रेट (Reverse Repo Rate)जिस रेट पर आरबीआई कमर्शियल बैंकों और दूसरे बैंकों को लोन देता है, उसे रेपो रेट कहते हैं। रेपो रेट कम होने का मतलब यह है कि बैंक से मिलने वाले लोन सस्ते हो जाएंगे। रेपो रेट कम होने से होम लोन, व्हीकल लोन वगैरह सभी सस्ते हो जाते हैं।
जिस रेट पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं। रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी को नियंत्रित करने में काम आती है। बहुत ज्यादा नकदी होने पर आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देती है।
क्या है एसएलआर (SLR)जिस रेट पर बैंक अपना पैसा सरकार के पास रखते हैं, उसे एसएलआर कहते हैं। नकदी को नियंत्रित करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। कमर्शियल बैंकों को एक खास रकम जमा करानी होती है, जिसका इस्तेमाल किसी इमरजेंसी लेन-देन को पूरा करने में किया जाता है।
क्या है सीआरआर (CRR)बैंकिंग नियमों के तहत सभी बैंकों को अपनी कुल नकदी का एक निश्चित हिस्सा रिजर्व बैंक के पास जमा करना होता है, जिसे कैश रिजर्व रेशियो यानी सीआरआर कहते हैं।
क्या है एमएसएफ (MSF)आरबीआई ने इसकी शुरुआत साल 2011 में की थी। एमएसएफ के तहत कमर्शियल बैंक एक रात के लिए अपने कुल जमा का 1 फीसदी तक लोन ले सकते हैं।
RTGS और NEFT से पैसे ट्रांसफर करने पर अब नहीं लगेगा कोई शुल्कइसके साथ ही आरबीआई ने ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के माध्यमों रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS) और नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर (NEFT) पर लगने वाले शुल्क को भी हटाने का ऐलान किया है। इस फैसले का सीधा असर ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करने वाले बैंक उपभोक्ताओं को फायदे के रूप में पड़ेगा। आरबीआई ने कहा है कि बैंकों को अपने ग्राहकों को यह लाभ देना होगा।
बैंक 2.5 रुपये से लेकर 25 रुपये तक लेते थे शुल्कदरअसल, मौजूदा समय में सरकारी और निजी बैंक IMPS और RTGS सेवा के लिए ग्राहकों से शुल्क लेते हैं। देश का सबसे बड़ा बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया NEFT की सुविधा पर 2.5 रुपये से लेकर 25 रुपये तक का शुल्क लगाता है। एसबीआई 10 हजार रुपये तक के ऑनलाइन ट्रांसफर पर 2.5 रुपये, 10 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक के ऑनलाइन ट्रांसफर तक पांच रुपये का शुल्क लगाता है।
इसके अलावा एसबीआई 1 लाख रुपये से 2 लाख रुपये तक की धनराशि NEFT के जरिये भेजने पर 15 रुपये का शुल्क वसूलता है। वहीं 2 लाख रुपये से अधिक के पैसे ट्रांसफर पर 25 रुपये चार्ज वसूला जाता है। देश के अन्य बैंक भी ग्राहकों से इसी तरह का शुल्क वसूलते हैं। NEFT के अंतर्गत मौजूदा समय फंड ट्रांसफर करने के लिए समयसीमा तय है। वहीं RTGS और IMPS के तहत किसी भी समय किसी को भी पैसे ट्रांसफर किए जा सकते हैं।