जयपुर। भाजपा नेता किरोड़ी लाल मीना ने राजस्थान मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने वादा किया था कि अगर पार्टी उनके अधीन आने वाली सात लोकसभा सीटों में से कोई भी सीट हार जाती है तो वह पद छोड़ देंगे। उनके एक सहयोगी ने गुरुवार को यह जानकारी दी। 72 वर्षीय नेता ने पार्टी द्वारा अपने गृह क्षेत्र दौसा सहित कुछ सीटों पर हार के बाद इस्तीफा दिया। उन्होंने लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार के दौरान यह वादा किया था। सहयोगी ने कहा, किरोड़ी मीना ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने 10 दिन पहले मुख्यमंत्री को अपना इस्तीफा सौंप दिया था।
राजस्थान में लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 25 में से 14 सीटें जीतीं और कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए दौसा समेत आठ सीटें जीतीं। अन्य दलों ने तीन सीटें जीतीं।
मीना ने कृषि और बागवानी, ग्रामीण विकास, आपदा प्रबंधन, राहत और नागरिक सुरक्षा, और लोक प्रभार समाधान सहित कई विभागों का कार्यभार संभाला। पिछले साल के राज्य विधानसभा चुनावों में, मीना ने सवाई माधोपुर से जीत हासिल की थी, क्योंकि भाजपा ने 200 में से 115 निर्वाचन क्षेत्रों पर जीत हासिल की थी और कांग्रेस को हटा दिया था, जिसे 66 सीटें मिली थीं।
इस्तीफा देने के बाद सत्संग में गएराजस्थान सरकार में कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। लोकसभा चुनाव में अपेक्षित परिणाम नहीं मिलने से दुखी मीणा ने यह कदम उठाया है जिसका ऐलान उन्होंने रिजल्ट से पहले ही कर दिया था। मंत्री के इस्तीफे के बाद जहां एक तरफ जहां राजस्थान की राजनीति में हलचल मच गई तो खुद मीणा ने एक सत्संग का रुख किया और इस दौरान अपने मन की बात भी की। उन्होंने राजनीति में आई गिरावट पर अपना दुख भी जाहिर किया और कहा कि अब इसमें भ्रष्टाचार, जातिवाद और वंशवाद है।
मीणा ने कहा, 'स्वच्छ और हाई मोरल वाली राजनीति की आवश्यकता है। राजनीति दलदल में जा चुकी है, जहां भारी भ्रष्टाचार है, भारी जातिवाद है, जहां भयंकर वंशवाद है। कीचड़ उछाला जाता है एक दूसरे के ऊपर। उससे देश मजबूत नहीं होता है, लोकतंत्र कमजोर होता है। लोकतंत्र मजबूत हो, देश मजबूत हो... राजनीति चाणक्य और चंद्रगुप्त जैसी हो, विश्वामित्र और भगवान राम के जैसी हो, यह आज के समय में संभव नहीं है, लेकिन इस ओर देश को मोड़ना पड़ेगा।' मीणा ने कहा कि राजनीति के कुछ लोग हिंदू को बांटते हैं, क्षेत्रवाद फैलाते हैं, जातिवाद फैलाते हैं।
लोकसभा चुनाव के दौरान ही अपनी कुर्सी पर शर्त रख चुके मीणा ने इस्तीफे के बाद बुधवार को सोशल मीडिया पर रामचरितमानस की चौपाई लिखते हुए कहा, 'रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर बचन ना जाई।' सत्संग के दौरान पत्रकारों ने उनसे कुछ सवाल भी किए लेकिन वह पहले की तरह जुबान पर अंगुली रखकर चुप रहने का इशारा करते रहे। हाल के दिनों में इस्तीफे से जुड़े सवालों और कयासों पर वह कुछ इसी अंदाज में जवाब देते थे।
गहलोत सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाकर भाजपा को राजस्थान की सत्ता में लाने में अहम भूमिका निभाने वाले किरोड़ी लाल मीणा ने इसलिए इस्तीफा दे दिया है क्योंकि वह उन सभी सीटों पर पार्टी को जीत नहीं दिला सके, जहां उन्हें जिम्मेदारी सौंपी गई थी। मीणा ने कहा था, 'प्रधानमंत्री के दौसा आने से पहले मैंने कहा था कि अगर (दौसा) सीट नहीं जीती तो मैं मंत्री पद छोड़ दूंगा। बाद में प्रधानमंत्री ने मुझसे अलग से बात की और मुझे सात सीट की सूची दी। मैंने 11 सीट पर कड़ी मेहनत की है और अगर पार्टी सात में से एक भी सीट हारती है तो मैं मंत्री पद छोड़ दूंगा और यहां पानी पिलाऊंगा।' किरोड़ी लाल मीणा ने दौसा, भरतपुर, धौलपुर, करौली, अलवर, टोंक-सवाईमाधोपुर और कोटा-बूंदी समेत पूर्वी राजस्थान की सीट पर चुनाव प्रचार किया था।