बाड़मेर। राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर ने बाड़मेर कोतवाली थाने में दर्ज एक FIR को फेक करार देते हुए बाड़मेर SP को फटकार लगाते हुए कोर्ट में हाजिर रहकर जवाब तलब किया है। साथ ही कहा है कि पुलिस अधिकारी आमजन के हितों की रक्षा के लिए है, उन्हें ये अधिकार नहीं है कि अपना व्यक्तिगत द्वेष के लिए झूठी FIR दर्ज कर कानून हाथ में लें, उससे खेलने का अधिकार नहीं है। चाहे आरोपी की पूर्व में आपराधिक पृष्ठभूमि रही हो। साथ ही हाईकोर्ट ने कहा कि तथ्यों को देखकर प्रतीत होता है कि बाड़मेर SP ने अपने पद और पॉवर का इस्तेमाल कर झूठा मामला परिवादी पर थोपा है।
यह मामला 28 मार्च 2024 का है। पुलिस की ओर से दर्ज FIR में बताया गया की बाड़मेर शहर के राजकीय अस्पताल के आगे से दिन दहाड़े ब्लैक स्कॉर्पियो में सवार होकर आए कुछ बदमाशों ने एक युवक का अपहरण कर लिया, जिसकी तलाश में पुलिस के साथ बाड़मेर एसपी नरेंद्र सिंह मीणा खुद अपहृत युवक की दस्तयाब और आरोपियों को पकड़ने में लगे थे। इसी दौरान शहर के चौहटन चौराहे के पास बाड़मेर एसपी को एक ब्लैक कलर की बिना नंबरी स्कॉर्पियो गाड़ी दिखाई दी। गाड़ी को रुकवाने का प्रयास किया। लेकिन, ड्राइवर ने बाड़मेर एसपी और उसमें सवार ड्राइवर और गनमैन को जान से मारने की नियत से सरकारी वाहन को टक्कर मार दी।
एनडीटीवी के अनुसार आरोपी स्कॉर्पियो लेकर फरार हो गया। पुलिस ने शहर से करीब 25 किलोमीटर दूर एक गांव में बरामद कर लिया था। हालांकि, इस गाड़ी और गाड़ी में सवार लोगों का अपहरण की वारदात से संबंध नहीं था। बरामद स्कॉर्पियो में शैलेन्द्र सिंह नाम के युवक के पहचान पत्र भी बरामद हुए थे। इसी आधार पर बाड़मेर एसपी के वाहन चालक की रिपोर्ट के आधार पर शैलेन्द्र सिंह के खिलाफ पुलिस थाना कोतवाली में मामला दर्ज किया गया, जिसके खिलाफ शैलेन्द्र सिंह ने हाईकोर्ट में अपील की थी, जिसके बाद कोर्ट ने FIR नंबर 175/2024 पर कार्रवाई को स्थगित कर दिया है।
एसपी से कोर्ट में उपस्थित होकर जवाब तलब कियाजोधपुर हाईकोर्ट के न्यायाधीश फरजंद अली ने पेश किए गए वीडियो फुटेज और तस्वीरों की जांच के बाद पाया कि वाहनों के बीच कोई टक्कर नहीं हुई थी। यह मामला झूठे सबूत गढ़ने का प्रतीत होता है। कोर्ट ने अपराध की संभावना को लेकर पुलिस अधीक्षक नरेंद्र सिंह मीणा और कोतवाली थानाधिकारी लेखराज सियाग को शपथ पत्र के माध्यम से स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है। साथ ही कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों से पूछा है कि क्यों न उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई शुरू की जाए, मामले की अगली सुनवाई 28 जनवरी 2025 को होगी, जिसमें अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया गया है।