राजस्थान / क्या है SoG की जांच, जिसके बाद सचिन पायलट और अशोक गहलोत में छिड़ गया संग्राम

राजस्थान में मची सियासी हलचल के बीच कांग्रेस में अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) और सचिन पायलट (Sachin Pilot) के रास्ते अब अलग होते दिख रहे हैं। एक नोटिस ने सचिन पायलट को इतना खफा कर दिया कि अब उनके भाजपा में जाने के आसार लग रहे हैं। दरअसल, पिछले लंबे समय से अशोक गहलोत बीजेपी पर आरोप लगा रहे हैं कि उनकी सरकार को गिराने की कोशिशें जारी हैं। मध्य प्रदेश में जिस तरह से बाजी पलटी, उसके बाद हाल ही में हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान राजस्थान में बवाल हुआ था। यहां अशोक गहलोत ने विधायकों को रिजॉर्ट में रखा, खुद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाया था। लेकिन अब हाल ही में कुछ निर्दलीय विधायकों की फोन रिकॉर्डिंग होने का मामला सामने आया, जिसमें वो लोग विधायकों की खरीद फरोख्त की बात कर रहे हैं।

जांच के लिए स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SoG) का गठन

विधायकों की खरीद फरोक्त को लेकर सामने आए विवाद के बाद राजस्थान की सरकार ने स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप बनाया, जो कि इस मामले की पूरी जांच कर रहा था। इस जांच में सामने आया कि निर्दलीय विधायक रमिला खड़िया फोन पर विधायकों को खरीदने की बात कर रहे हैं, इस दौरान वो अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच की लड़ाई का फायदा उठाने को भी कह रहे हैं जिससे सरकार आसानी से गिर सकती है। इस बातचीत के सामने आने के बाद एंटी करप्शन ब्यूरो ने कुल तीन विधायकों के खिलाफ FIR दर्ज की, इसके अलावा स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने भारतीय जनता पार्टी के दो नेताओं को गिरफ्तार किया।

वो नोटिस जिसने बिगाड़ी सारी बात

अशोक गहलोत ने इस मामले की पूरी जांच बैठाने की ठानी और इसी के बाद SOG ने जांच शुरू कर दी। जिसके तहत 10 जुलाई को एक नोटिस उपमुख्यमंत्री और राजस्थान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट को भेजा गया। इस नोटिस में मौजूदा प्रकरण को लेकर उनसे सवाल-जवाब करने और बयान दर्ज करने के लिए था जिसमें सचिन से उनका वक्त मांगा गया था। माना जा रहा है कि सचिन पायलट को ये नोटिस ही अखर गया, क्योंकि इससे पहले अशोक गहलोत ने कहा था कि पार्टी ने जिन्हें मंत्री बनाया और पद दिया, वही गद्दारी कर रहे हैं। हालांकि, इस नोटिस के बाद जैसे ही विवाद बढ़ा तो अशोक गहलोत की ओर से साफ किया गया कि ये नोटिस सिर्फ उपमुख्यमंत्री को नहीं गया है, बल्कि मुख्यमंत्री समेत अन्य लोगों को भी आया है। जिसके तहत SOG के सामने अपना बयान दर्ज कराना है। इसी के बाद से कांग्रेस में दरार साफ हो गई।

सचिन पायलट अपने समर्थक विधायकों के साथ दिल्ली आ गए और उनके हरियाणा के एक होटल में रुकने की खबर सामने आई। रविवार रात तक ये भी साफ हो गया कि सचिन पायलट के साथ करीब तीस विधायक हैं और वो लोग जयपुर वापस जाने के इच्छुक नहीं हैं। माना जा रहा है कि गहलोत से नाराज चल रहे पायलट पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलकर अपनी बात रख सकते हैं। सुलह का रास्ता नहीं निकला तो पायलट गहलोत सरकार के लिए मुश्किल खड़ी कर सकते हैं। अगर मध्य प्रदेश की कहानी राजस्थान में भी दोहराई जाती है और पायलट समर्थक विधायक विधायकी छोड़ देते हैं तो गहलोत सरकार अल्पमत में आ जाएगी।

SoG जांच में सामने आई विधायकों को 25 करोड़ देने की बात

SoG के अनुसार उसने अवैध हथियार और विस्फोटक सामग्री की तस्करी से जुड़े मामले में मोबाइल नंबर 9929229909 और 8949065678 को सर्विलांस पर लिया हुआ था। सर्विलांस पर लिए गए मोबाइल की बातचीत में सामने आया है कि राज्यसभा चुनाव से पहले सरकार गिराने की साजिश रची गई थी। विधायकों को 25-25 करोड़ रुपए देने की जानकारी भी सामने आई है। विधायकों को पैसा देने के मामले में एसीबी ने शनिवार को तीन निर्दलीय विधायकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। इनमें महुवा से ओमप्रकाश हुड़ला, अजमेर किशनगढ़ से सुरेश टांक और पाली मारवाड़ जंक्शन से निर्दलीय विधायक खुशवीर सिंह शामिल हैं।