राजस्थान दिवस समारोह - 2018 : जनपथ पर साकार हुई प्रदेश की ‘सांस्कृतिक आत्मा’

जयपुर। राजस्थान दिवस के अवसर पर हो रहे आयोजनों की शृंखला में बुधवार शाम को जनपथ पर प्रदेश की बहुरंगी संस्कृति ने हर देखने वाले का मन मोह लिया। जयपुर, भरतपुर, उदयपुर, बीकानेर, जोधपुर, कोटा और अजमेर संभाग की झांकियों में प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर को इस जीवन्तता के साथ प्रस्तुत किया गया कि सम्पूर्ण जनपथ पर रंग-बिरंगे राजस्थान की आत्मा ही साकार नजर आई।

इस मौके पर संभागवार लगी झांकिंयों में विभिन्न अंचलों, जिलों की सांस्कृतिक धरोहरों के प्रभावी प्रदर्शन में संभाग के किलों, मंदिरों, प्रमुख नृत्य, गायन, वादन शैलियों के साथ ही उनसे जुडे़ संक्षिप्त इतिहास की झलक भी प्रस्तुत की गई। इस आयोजन को बड़ी संख्या में युवा, विदेशी पर्यटक और जनसामान्य देखने पहुंचे। अजमेर संभाग की झांकी के समक्ष शंकवास नागौर की मसकवाद एण्ड पार्टी द्वारा राजस्थान लोक नृत्य प्रस्तुत किया गया। कोटा संभाग की झांकी के समक्ष छबड़ा के कंजर जाति के कलाकारों द्वारा चकरी नृत्य की प्रस्तुति दी गई और शाहाबाद बारांं के आदिवासियों का सहरिया लोक नृत्य भी लोगाें में कोतूहल का विषय रहा।

इसी प्रकार जयपुर संभाग की झांकी के समक्ष रिम भवाई ग्रुप द्वारा भवाई नृत्य, कालबेलिया नृत्य, कच्छी घोड़ी अळगोजा नृत्य, जोधपुर की झांकी को जसोळ बाड़मेर के लालआंगी गेर नृत्य ने पूर्णता प्रदान की। बीकानेर की झांकी के समक्ष मसकवादी गु्रप द्वारा चंग नृत्य की प्रस्तुति, भरतपुर संभाग में डीग के भारतीय कला संस्थान द्वारा बमरसिया, ब्रज होरी एवं बिहारी दर्शन नृत्य की मनभावन प्रस्तुति दी गई। उदयपुर संभाग के कलाकारों द्वारा वांगड़ अंचल के गेर नृत्य की प्रस्तुति दी गई।

इससे पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव, खेल श्री जे.सी.महान्ति की उपस्थिति में अमर जवान ज्योति पर राजस्थान दिवस उत्सव की मशाल अन्तरराष्ट्रीय स्तर के एवं अजुन अवार्ड प्राप्त खिलाडियों को सौंंपी गई। सर्वश्रेष्ठ झांकी के चुनाव के लिए झांकियों का अवलोकन तीन सदस्यीय निर्णायक मण्डल ने किया। इस निर्णायक मंडल में राजस्थान आईएलडी स्किल्स यूनिवर्सिटी के कुलपति श्री ललित के पंवार, राजस्थान संस्कृत अकादमी की चेयरमैन श्रीमती दया दवे एवं राजस्थान ट्यूर्स के श्री भीम सिंह शामिल थे।

सेल्फी विद् संस्कृत

जनपथ पर साकार हुई लोक संस्कृति के आयोजन को देखने बड़ी संख्या में युवा भी पहुंचे। बड़ी संख्या में युवा इन लोक कलाकारों की नृत्य प्रस्तुतियों एवं मनमोहक झांकियों के साथ सेल्फी लेते नजर आए। इसमें भी भरतपुर संभाग की झांकी के बिहारी दर्शन एवं जोधपुर के लालआंगी गेर नृत्य के साथ सेल्फी का ज्यादा क्रेज नजर आया।

चंग की थाप पर थिरके ‘विदेशी’ कदम

लोक नर्तकों के नृत्य और चंग की थाप से निकलती धमक का असर इतना था कि स्पेन की पाउला अपने कदम नहीं रोक सकीं। श्रीमती पाउला देर तक बीकानेर संभाग के पाबूसर चुरू के लोक नर्तकों के साथ चंग की थाप पर थिरकती रहीं।