राजस्थान में डेंगू से हालत खराब, एक दिन में मिले 593 रिकॉर्ड मरीज; जयपुर, कोटा, झालावाड़, करौली, अलवर में हालात बेकाबू

राजस्थान (Rajasthan) में डेंगू (Dengue) खतरनाक मोड पर आ गया है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट को देखे तो 29 अक्टूबर को पूरे राज्य में 593 रिकॉर्ड डेंगू के केस मिले हैं। जो एक दिन में मिले केसों में इस साल में सर्वाधिक है। इस बीच 2 मरीजों की मौत भी हुई है। सबसे ज्यादा मरीज जयपुर में मिले। जयपुर में 102 मरीज मिले। जयपुर के अलावा धौलपुर, कोटा, प्रतापगढ़, जोधपुर, बीकानेर, झालावाड़ समेत कई अन्य जगहों पर भी हालात बेकाबू है। जहां बड़ी संख्या में डेंगू, मलेरिया के मरीज मिल रहे है।

SMS हॉस्पिटल के डॉक्टरों की माने तो उनके पास ज्यादातर सीरियस केस आ रहे हैं क्योंकि बुखार होने के बाद व्यक्ति पहले अपने स्तर पर दवाइयां लेकर ठीक होने का प्रयास करते हैं, जबकि डेंगू के केस में हालात 4-5 दिन बाद तेजी से बिगड़ती है। उससे पहले व्यक्ति को सामान्य बुखार के अलावा कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं। ऐसे में डॉक्टरों का कहना है कि अगर किसी व्यक्ति के बुखार है तो उसे एक बार डॉक्टर से जरूर कंसल्ट करना चाहिए, ताकि आगे की सीरियस स्थिति से बचा जा सके।

जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, कोटा जैसे बड़े शहरों में आसपास के छोटे शहरों और गांवों से बड़ी संख्या में मरीज रेफर होकर पहुंच रहे हैं। यहां अस्पतालों में मरीजों की भीड़ बढ़ गई है।

जयपुर के SMS हॉस्पिटल के अलावा राजकीय जयपुरिया, हरबक्श कावंटिया, सैटेलाइट हॉस्पिटल, जनाना चिकित्सालय चांदपोल और सांगानेरी गेट महिला चिकित्सालय में भी बड़ी संख्या में डेंगू के मरीज भर्ती हो रहे है।

दूरदराज से जयपुर रेफर होने वाले मरीजों के लिए सबसे बड़ी समस्या प्लेटलेट्स और SDP किट को लेकर है। प्राइवेट हॉस्पिटल में केवल 4 हॉस्पिटल ही ऐसे है जहां ब्लड बैंक में SDP किट उपलब्ध है। इसके अलावा शेष हॉस्पिटल के मरीजों को सरकारी या इन चार निजी ब्लड बैंक से ही प्लेटलेट्स और SDP किट लेनी पड़ रही है।

जयपुर में सबसे ज्यादा मरीज

चिकित्सा विभाग की रिपोर्ट को देखे तो सबसे ज्यादा केस जयपुर में है, जहां अब तक डेंगू के 1886 से ज्यादा मरीज मिले चुके है। इसके बाद दूसरा नंबर कोटा का आता है, जहां 932 मरीज मिले है। वहीं झालावाड़ में 806, करौली 622, अलवर 578 और जोधपुर में 574 केस मिले है। पूरे राज्य में अब तक डेंगू से 23 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। जिसमें सबसे ज्यादा अलवर और दौसा में 4-4 लोगों की हुई है।