बस-ट्रेलर भिड़ंत: आंखों के सामने जिंदा जली 5 माह की मासूम, बेबस मां कुछ न कर सकी

राजस्थान के बाड़मेर जिले के जोधपुर नेशनल हाईवे पर बुधवार को बस और ट्रेलर की जबर्दस्त भिड़ंत हो गई। आमने-सामने की टक्कर के बाद बस और ट्रेलर में आग लग गई। इसमें 12 लोग जिंदा जल गए। हादसा सुबह 10:30 बजे हुआ। इस भयानक हादसे में एक 5 माह की बच्ची सहित 12 लोगों की मौत हो गई और 38 लोग घायल हो गए। बस में सफर कर रहे एक पैसेंजर ने बताया कि बालोतरा से जोधपुर जा रही बस में 35-40 सवारियां बैठी थीं। हाईवे पर ट्रेलर गलत साइड से आकर बस से भिड़ गया। आग इतनी तेज थी कि आग बुझाने के लिए तीनों दमकलों ने दो-दो फेरे किए। इस घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख प्रकट किया है। उन्होंने मृतकों के परिवारों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से 2-2 लाख रुपए की मदद देने की घोषणा की है। साथ ही घायलों को 50 हजार रुपए दिए जाएंगे। इधर, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पुलिस और प्रशासन को राहत बचाव में मुस्तैद रहने का निर्देश दिया है। साथ ही मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख और घायलों को 1-1 लाख देने की घोषणा की।

उधर, मीडिया से बात करते हुए हादसे का शिकार हुई एक मां ने बताया कि अपनी 6 साल की बेटी को तो बचा लिया, लेकिन 5 माह की बेटी उसकी आंखों के सामने जिंदा जल गई। घायल महिला सखी ने बताया कि मैं बुधवार की सुबह बालोतरा से जोधपुर पीहर जाने के लिए बस में बैठी थी। मेरा मन जोधपुर जाने का नहीं कर रहा था, लेकिन फिर भी बस में बैठ गई। बस सवारियों से खचाखच भरी हुई थी। बालोतरा से बस रवाना होकर करीब 15-20 किलोमीटर भांडियावास पहुंची ही थी कि अचानक सामने से आ रहे ट्रेलर ने टक्कर मार दी। टक्कर लगने के बाद बस में आग लग गई जिसके बाद सवारियों में भगदड़ मच गई। सवारियां एक-दूसरे पर गिर गई। कई तो भिड़ंत की वजह घायल हो गए।

आंखों के सामने जिंदा जल गई

सखी ने बताया कि इससे पहले कि लोग संभलते बस के अगले हिस्से में लगी आग फैलने लगी। तभी बाहर से कुछ लोग मदद के लिए आए और पत्थरों से बस के शीशे तोड़े, लेकिन सवारियां ज्यादा होने के कारण निकलने की जगह कम थी। आग बढ़ती जा रही थी तब मैंने खिड़की का कांच अपने पैर व अन्य सामान से तोड़ कर पहले अपनी बड़ी बेटी को बाहर खड़े लोगों को दिया। मेरे साथ 5 माह की बच्ची थी, जिसे ढूंढने लगी, मेरी आंखों के सामने ही वो आग में जिंदा जल गई।

आग को बढ़ता देखकर मैं खिड़की की ओर बढ़ी तब नीचे खड़े लोगों ने सुरक्षित बाहर निकाला। टैक्सी से मुझे और मेरी बेटी को अस्पताल पहुंचाया गया। सखी बताती हैं कि हादसे के समय न तो एंबुलेंस पहुंची थी और न प्रशासन।

बालोतरा के राजकीय अस्पताल में 38 घायलों को भर्ती किया गया था। इनमें से 17 गंभीर घायलों को जोधपुर और अन्य जगह रेफर कर दिया गया। 10 मरीज बालोतरा के अलग-अलग प्राइवेट अस्पताल में भर्ती हैं। वहीं 6 घायलों का प्राथमिक उपचार के बाद घर भेज दिया गया हैं। 5 मरीज नाहटा राजकीय अस्पताल बालोतरा और सीएचसी पचपदरा में भर्ती है। 2 घायल आंबाराम और सखी का अस्पताल में इलाज चल रहा है।