पुणे। पुणे पोर्शे कांड में पुलिस ने बड़ा कदम उठाते हुए सबूतों से छेड़छाड़ के आरोप में ससून अस्पताल में फोरेंसिक विभाग के प्रमुख और एक डॉक्टर को गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी तब हुई जब यह पता चला कि दुर्घटना में शामिल नाबालिग के रक्त के नमूनों को किसी अन्य व्यक्ति के रक्त के नमूनों के साथ बदल दिया गया था जिसने शराब का सेवन नहीं किया था। इन दोनों गिरफ्तारी के साथ अब तक पुलिस ने नाबालिग आरोपी के पिता और दादा को गिरफ्तार किया है।
इंडिया टुडे से बातचीत में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि ससून अस्पताल के फॉरेंसिक डिपार्टमेंट के प्रमुख और एक अन्य डॉक्टर को सबूतों से छेड़छाड़ के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। खास बात है कि इसी अस्पताल में नाबालिग आरोपी को मेडिकल जांच के लिए ले जाया गया था। रविवार सुबह करीब 3 बजे हुए हादसे में मध्य प्रदेश के रहने वाले दो इंजीनियर्स की मौत हो गई थी।
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि नाबालिग को 19 मई को सुबह 11 बजे अस्पताल लाया गया था। यहां शुरुआती ब्लड सैंपल में खून नहीं पाया गया था, जिसके चलते शक पैदा हुआ। रिपोर्ट के अनुसार, ब्लड सैंपल को किसी ऐसे दूसरे व्यक्ति के सैंपल से बदल दिया गया था, जिसने शराब का सेवन नहीं किया था। इसकी जानकारी लगने के बाद ये दो गिरफ्तारियां हुईं हैं।
इसके बाद जब जांच की दूसरी रिपोर्ट सामने आई, तो उसमें एल्कोहल का पता चला। इसके बाद जांच में शामिल अधिकारियों को सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों पर सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने का शक हुआ था। खास बात है कि इससे पहले दो पुलिसकर्मियों को भी नियमों का पालन नहीं करने के चलते निलंबित कर दिया गया था।
हादसे में अनीस अवधिया और अश्विनी कोष्टा की मौत हो गई थी। दोनों की उम्र 24 साल के आसपास थी और पेशे से इंजीनियर थे। खबरें हैं कि हादसा रविवार सुबह करीब 3 बजे के आसपास हुआ। उस दौरान अवधिया और कोष्टा दुपहिया वाहन से जा रहे थे और पीछे से तेज रफ्तार पोर्शे कार ने उन्हें टक्कर मार दी थी। टक्कर इतनी तेज थी कि अश्विनी की मौके पर ही मौत हो गई थी।