जन्मदिन विशेष: गुजरात के दंगे बने थे नरेन्द्र मोदी के लिए सबसे बड़ी समस्या, जानें पूरा मसला

इस 17 सितम्बर को नरेन्द्र मोदी अपना 68वां जन्मदिन मना रहे हैं। अपने 68 साल के इस जीवन में नरेन्द्र मोदी ने अपना कीमती समय राजनीति को दिया हैं और देश के विकास में योगदान दिया हैं। इस मुकाम तक पहुँचने में मोदी को कई साल लग गए। इसी के साथ उनके जीवन में कई उतार-चढ़ाव भी आए। जिसमें सबसे बड़ी समस्या बनी 2002 में हुए गुजरात के दंगे। जी हाँ, यह दंगे मोदी के राजनैतिक जीवन के लिए भी समस्या बन गए थे। आइये आज हम बताते हैं आपको क्या था यह पूरा मसला।

27 फरवरी 2002 से गुजरात में साम्प्रदायिक हिंसा भडक गयी, जिसमे गोधरा के पास ट्रेन में तीर्थ-यात्रा को जा रहे, ज्यादातर हिन्दू यात्री जिनकी संख्या लगभग 58 थी, वो मारे गए। जिसके कारण राज्य में एंटी-मुस्लिम हिंसा शुरू हो गई और ये हिंसा गोधरा से शुरू होकर पूरे राज्य में फ़ैल गई। इसके कारण लगभग 900 से 2000 तक लोग मारे गए। नरेंद्र मोदी की गुजरात सरकार ने हिंसा पर काबू पाने के लिए कई शहरों में कर्फ्यू लगा दिया।

मानव अधिकार आयोग,मीडिया और विपक्षी पार्टियों ने मोदी सरकार के खिलाफ घेराबंदी शुरू कर दी। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2009 में एक विशेष इन्वेस्टीगेशन टीम (SIT) भी बनाई गई। SIT ने 2010 में ये रिपोर्ट पेश की कि मोदी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले हैं। हालांकि जुलाई 2013 में SIT पर सबूत छुपाने के आरोप भी लगे।

उन दिनों बीजेपी पर लगातार मोदी को हटाने या उनके इस्तीफे की मांग का दबाव बनता रहा, लेकिन अगले चुनावों में बीजेपी को 182 में से मिली 127 सीट्स की जीत से मोदी के सभी आलोचकों का मुंह बंद हो गया, और ये भी तय हो गया कि मोदी जनता में अब भी उतने ही प्रिय हैं,और गुजरात की जनता विकास को ही चुनती हैं।

बिना चुनाव बने थे नरेन्द्र मोदी पहली बार मुख्यमंत्री

7 अक्टूबर 2001 को मोदी को गुजरात का पहला मुख्यमंत्री बनाया गया। उन्हें 2002 के चुनावों की तैयारी की जिम्मेदारी दी गई मोदी ने उस समय छोटे सरकारी संस्थाओं के विकास पर काम किया।

शंकर सिंह वाघेला के बीजेपी छोड़ने के बाद पार्टी ने केशु भाई पटेल को मुख्यमंत्री बनाया और तब मोदी को दिल्ली भेज दिया गया। लेकिन 2001 में भुज में आए भूकम्प के प्रभाव को संभालने के लिए बीजेपी को गुजरात में मुख्यमंत्री पद के लिए नए उम्मीदवार की जरूरत महसूस हुई।

केशु भाई पटेल को हटाकर 2001 में मोदी को गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया गया,तब मोदी के पास कोई तरह का प्राशासनिक अनुभव नहीं था। हालांकि शुरू में पार्टी उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाना चाहती थी बल्कि उन्हें उप-मुख्यमंत्री का पद देना चाहती थी,जिसके लिए मोदी ने मना कर दिया। मोदी ने तब आडवानी और तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल-बिहारी वाजपेयी को पत्र लिखकर ये कहा कि वो या तो गुजरात की पूरी जिम्मेदारी संभालेंगे या फिर बिलकुल नहीं।