नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को कहा कि लंबित मामले और लंबित मामले न्यायपालिका के लिए बड़ी चुनौती हैं। उन्होंने त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के महत्व पर जोर दिया, खासकर बलात्कार के मामलों में।
जिला न्यायपालिका के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, जब बलात्कार जैसे मामलों में अदालती फैसले एक पीढ़ी बीत जाने के बाद आते हैं, तो आम आदमी को लगता है कि न्याय प्रक्रिया में संवेदनशीलता की कमी है।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि गांवों में लोग न्यायपालिका को ईश्वरीय मानते हैं क्योंकि उन्हें वहां न्याय मिलता है। उन्होंने कहा, एक कहावत है - भगवान के घर देर है अंधेर नहीं। लेकिन देरी कितनी लंबी है? यह कितनी लंबी हो सकती है? हमें इस बारे में सोचने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, जब तक किसी को न्याय मिलेगा, तब तक उनकी मुस्कान गायब हो चुकी होगी, उनका जीवन समाप्त हो चुका होगा। हमें इस पर गहराई से विचार करना चाहिए।
राष्ट्रपति मुर्मू की यह टिप्पणी कोलकाता में 31 वर्षीय प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ हाल ही में हुए बलात्कार और हत्या मामले की निंदा करने वाले उनके बयान के बाद आई है।
अपने संबोधन में आगे राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए अदालतों में स्थगन की संस्कृति को बदलने के लिए हर संभव कार्रवाई की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा, यह हमारे सामाजिक जीवन का एक दुखद पहलू है कि कुछ मामलों में, संपन्न व्यक्ति अपराध करने के बाद भी खुलेआम घूमते रहते हैं, जबकि पीड़ित डर में रहते हैं। महिलाओं की स्थिति और भी बदतर है, क्योंकि समाज उनका समर्थन नहीं करता है।
राष्ट्रपति ने महिला न्यायिक अधिकारियों की संख्या में वृद्धि पर भी प्रसन्नता व्यक्त की। इस कार्यक्रम में भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और केंद्रीय कानून और न्याय
राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल भी शामिल हुए। मुर्मू ने भारत मंडपम में आयोजित कार्यक्रम के दौरान सुप्रीम कोर्ट का झंडा और प्रतीक चिन्ह भी जारी किया।