छोटी बच्चियों के साथ बढ़ते दुष्कर्म व यौन शोषण के मामलों में मौत की सजा को केंद्रीय कैबिनेट पहले ही हरी झंडी दिखा चुका है। वही अब महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के प्रस्ताव पर कानून मंत्रालय ने पॉक्सो एक्ट में बालक व बालिका के बीच अंतर खत्म करने को मंजूरी दे दी है। कैबिनेट से मंजूरी के बाद बुधवार से शुरू हुए मानसून सत्र में ही पॉक्सो एक्ट में इस संशोधन के लिए बिल पेश किया जाएगा। जिसके बाद अब 12 साल से कम उम्र के लड़कों के साथ भी कुकर्म या यौन उत्पीड़न करने वालों को फांसी की सजा मिलेगी।
छोटी बच्चियों के साथ हो रहे अपराधों की रोकथाम के लिए प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेस एक्ट को पहले ही कैबिनेट अध्यादेश के जरिए संशोधित कर चुकी है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कैबिनेट ने इस अध्यादेश की जगह लेने वाले कानून को मंजूरी के लिए संसद में पेश करने को हरी झंडी दे दी।
कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने बताया कि अब क्रिमिनल लॉ (संशोधन) बिल-2018 को मानसून सत्र में पेश किया जाएगा। इस बिल से 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से दुष्कर्म पर फांसी के साथ ही इससे बड़ी उम्र की किशोरियों व महिलाओं से दुष्कर्म पर भी सजा में भी बढ़ोतरी की गई है।