PM मोदी बोले- रातोरात नहीं आए हैं कृषि कानून, 20-22 साल से हो रही है चर्चा

मध्य प्रदेश में एक किसान सम्मेलन में किसानों को संबोधित करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर किसान कानूनों का समर्थन किया। नए कृषि कानून को लेकर जारी विपक्ष के विरोध पर पीएम मोदी ने निशाना साधा और उनके पुराने वादों को याद दिलाया. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मध्य प्रदेश के किसानों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि ये जो कृषि कानून लाए गए हैं, वो रातों-रात नहीं लाए गए, पिछले 20-22 सालों में हर सरकार ने इसपर व्यापक चर्चा की है। पीएम ने कहा कि 'बीते कई दिनों से देश में किसानों के लिए जो नए कानून बने, उनकी बहुत चर्चा है। ये कृषि सुधार कानून रातों-रात नहीं आए। पिछले 20-22 साल से हर सरकार ने इस पर व्यापक चर्चा की है। कम-अधिक सभी संगठनों ने इन पर विमर्श किया है।' पीएम मोदी ने कहा कि विपक्ष कृषि सुधारों पर झूठ का जाल फैला रहे हैं। किसानों को जमीन जाने का डर दिखाकर अपनी राजनीति चमका रहे हैं।

PM मोदी ने कहा कि किसानों को उन लोगों से जवाब मांगना चाहिए जो लोग अपने घोषणापत्र में सुधारों के वादे तो करते रहे, पर मांगों को टालते रहे, क्योंकि किसान प्राथमिकता में नहीं था। पुराने घोषणापत्र देखे जाएं, पुराने बयान सुने जाएं तो आज जो कृषि सुधार किए गए हैं, वे वैसे ही हैं, जो बातें कही गई थीं। उनको पीड़ा इस बात की है कि जो हमने कहा, वो मोदी ने कैसे कर दिया। मोदी को क्रेडिट कैसे मिला? मैं कहता हूं कि सारा क्रेडिट अपने पास रख लीजिए, लेकिन किसानों को आसानी से रहने दीजिए। अब अचानक झूठ का जाल फैलाकर किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर वॉर किए जा रहे हैं।

PM मोदी ने कहा कि समय हमारा इंतजार नहीं कर सकता। तेजी से बदलते परिदृश्य में भारत का किसान सुविधाओं के अभाव में पिछड़ता जाए, ये ठीक नहीं है। जो काम 25-30 साल पहले हो जाने चाहिए थे, वे अब हो रहे हैं। पिछले 6 साल में सरकार ने किसानों को ध्यान में रखते हुए कई कदम उठाए हैं। नए कानूनों की चर्चा बहुत हो रही है। ये कानून रातों-रात नहीं आए। 20-22 साल से देश की और राज्यों की सरकारों, किसान संगठनों ने इस पर विमर्श किया। कृषि अर्थशास्त्री, वैज्ञानिक इस क्षेत्र में सुधार की मांग करते आए हैं।

PM मोदी ने कहा कि इन्हें लगा कि सरकार को किसानों पर ज्यादा खर्च न करना पड़े, इसलिए रिपोर्ट को दबाकर रखा। हमारी सरकार किसानों को अन्नदाता मानती है। हमने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट निकाली। किसानों को लागत का डेढ़ गुना MSP दिया। किसानों के साथ धोखाधड़ी का उदाहरण कर्जमाफी का वादा है। मध्य प्रदेश में चुनाव से पहले कहा गया कि कर्ज माफ कर देंगे, लेकिन हुआ कुछ नहीं। राजस्थान के लाखों किसान आज भी कर्जमाफी का इंतजार कर रहे हैं। मैं यही सोचता हूं कि कोई इस हद तक भोले-भाले किसानों के साथ छल-कपट कैसे कर सकता है।