कोविड से उभरने के बाद कई लोगों को म्यूकर माइकोसिस या ब्लैक फंगस ने अपनी गिरफ्त में लिया हैं। प्रदेश में अब तक 3660 ब्लैक फंगस संक्रमितों में से 230 की मौत हो चुकी है। बता अक्रें राजधानी जयपुर की तो 2349 मरीजों में से 65 लोगों की मौत हो चुकी है। संक्रमित और मौतों के मामले में जयपुर पहले, जोधपुर दूसरे और कोटा तीसरे नंबर पर रहा। देखा गया कि कई लोगों को इस बीमारी में अपना जबड़ा गंवाना पड़ा। लेकिन अब ऐसे मरीजों के लिए खुशखबरी हैं कि वे जयपुर में ही कृत्रिम जबड़ा लगवा सकेंगे और इसके लिए उन्हें राज्य से बाहर नहीं जाना पड़ेगा। दांतों के साथ जबड़ा खो चुके मरीजों के जाइगोमेटिक इंप्लांट ट्रीटमेंट के जरिए अब कृत्रिम जबड़ा लगाया जा सकेगा, जिससे आसानी से खाना खाने के साथ ही चेहरा भी सुन्दर दिख सकेगा। और चेहरे पर किसी तरह की गड़बड़ी भी नहीं होगी।
एम्स दिल्ली और देश के बड़े अस्पतालों के बाद जयपुर के सुभाष नगर स्थित आरयूएचएस कॉलेज ऑफ डेंटल साइंसेज में जाइगोमेटिक इंप्लांट की सुविधा मिल सकेगी। जहां पर डेढ़ से दो लाख रुपए में कृत्रिम जबड़ा लगने पर राज्य के बाहर नहीं जाना पड़ेगा। यहां पर ट्रायल की जा चुकी है। जयपुर में देश-विदेश के 30 मेक्सिलो फेसियल सर्जन को सर्जरी का प्रशिक्षण दिया है। डॉक्टरों के अनुसार यह एक लंबा इंप्लांट होता है, जो गाल की हड्डी में आसानी से लग जाता है। इसके ऊपर नकली जबड़ा स्क्रू से फिक्स कर देते है। देश में ऐसी सर्जरी करने वाले मेक्सिलो फेसियल डेंटल सर्जन की भी कमी है।ब्लैक फंगस के मरीजों का ऊपरी जबड़ा वापस बनाना। और बीमारी से पीड़ित बची हड्डी में फिक्स करने के गुर सिखाए गए है। इस तरह की जयपुर में पहली बार डॉक्टरों को कृत्रिम जबड़ा लगाने की आधुनिक तकनीक के बारें में प्रशिक्षण मिला है। कोरोना महामारी के दौरान जयपुर समेत देशभर में तीन हजार मरीजों के जबड़ा निकाला जा चुका है। जिनमें बच्चे, युवा और बुजुर्ग शामिल है।