
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत में छिपे पाकिस्तानी जासूसी नेटवर्क के खिलाफ सुरक्षा एजेंसियों ने कार्रवाई तेज कर दी है। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में राष्ट्रविरोधी गतिविधियों से जुड़े लोगों पर शिकंजा कसा जा रहा है। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश आतंकवाद निरोधी दस्ते (UP ATS) ने दो संदिग्ध पाकिस्तानी जासूसों को गिरफ्तार किया है। इनमें शामिल हैं दिल्ली के सीलमपुर निवासी मोहम्मद हारून और वाराणसी के जेतपुरा के तुफैल मकसूद, जिन्हें देश की आंतरिक सुरक्षा से जुड़ी संवेदनशील जानकारियां पाकिस्तान तक पहुंचाने के आरोप में पकड़ा गया है। दोनों से गहन पूछताछ जारी है ताकि पूरे जासूसी नेटवर्क और उसके कार्यप्रणाली का खुलासा हो सके।
कबाड़ी से जासूस बनने की कहानी: मोहम्मद हारून की गिरफ्तारीदिल्ली के सीलमपुर में कबाड़ का व्यवसाय करने वाले मोहम्मद हारून को नोएडा से गिरफ्तार किया गया। जांच में सामने आया कि हारून की सीधी पहुंच पाकिस्तान उच्चायोग में कार्यरत अधिकारी मुजम्मल हुसैन तक थी। गौरतलब है कि भारत सरकार द्वारा मुजम्मल को ‘पर्सोना नॉन ग्राटा’ घोषित करते हुए 24 घंटे के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया गया था। ATS की जानकारी के मुताबिक, हारून ने अपने कबाड़ के कारोबार की आड़ में राष्ट्रविरोधी गतिविधियां चलाईं। वह पाकिस्तानी वीजा दिलाने के नाम पर लोगों से अवैध रकम वसूलता था, जिसे बाद में मुजम्मल के निर्देशानुसार विभिन्न खातों में भेजता था।
ATS ने उसके पास से दो मोबाइल फोन और ₹16,900 नकद जब्त किए हैं। जांच में यह भी सामने आया है कि हारून की दूसरी पत्नी पाकिस्तान में है और वह नियमित रूप से वहां की यात्रा करता था। हाल ही में वह 5 अप्रैल को पाकिस्तान गया और 25 अप्रैल को भारत लौटा। सुरक्षा एजेंसियों का दावा है कि हारून ने अपने पारिवारिक संबंधों का लाभ उठाकर ISI के लिए जासूसी की। हालांकि, हारून के परिवार ने इन आरोपों को खारिज किया है और कहा है कि वह सिर्फ अपनी पत्नी से मिलने पाकिस्तान जाता था।
वाराणसी का तुफैल और हनी ट्रैप का जालवाराणसी के जेतपुरा निवासी तुफैल मकसूद को भी ATS ने जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया है। आरोप है कि तुफैल ने भारत की सुरक्षा से जुड़ी जानकारियां 600 से अधिक पाकिस्तानी मोबाइल नंबरों के साथ साझा कीं। जांच में यह तथ्य सामने आया कि तुफैल का संबंध पाकिस्तान के प्रतिबंधित आतंकी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक से था और वह इस संगठन के प्रमुख मौलाना शाद रिजवी के वीडियो व्हाट्सऐप ग्रुप्स में प्रसारित करता था।
इसके अतिरिक्त, वह गजवा-ए-हिंद, बाबरी मस्जिद बदले की बात और भारत में शरिया कानून लागू करने जैसी उत्तेजक सामग्रियों को भी प्रचारित करता था। तुफैल ने राजघाट, नमो घाट, ज्ञानवापी, रेलवे स्टेशन, जामा मस्जिद, लाल किला और निजामुद्दीन औलिया जैसे संवेदनशील स्थानों की तस्वीरें और जानकारियां पाकिस्तान भेजीं। जांच में खुलासा हुआ कि वह हनी ट्रैप का शिकार हुआ था। फेसबुक के माध्यम से वह फैसलाबाद निवासी एक महिला नफीसा के संपर्क में आया, जो पाकिस्तानी सेना के अधिकारी की पत्नी है। उसी के जरिए तुफैल ISI के जाल में फंसा और जासूसी में शामिल हो गया।
ऑपरेशन सिंदूर और जासूसी नेटवर्क पर करारा प्रहारपहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर जवाबी कार्रवाई के रूप में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम दिया गया। इसके बाद ISI के जासूसी नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए व्यापक स्तर पर अभियान चलाया गया। इसी अभियान के तहत यूपी ATS ने तुफैल और हारून के खिलाफ BNS की धारा 148 (देश के खिलाफ युद्ध की साजिश) और 152 (राष्ट्र की एकता, अखंडता और संप्रभुता को खतरे में डालने वाले कार्य) के अंतर्गत प्राथमिकी दर्ज की है।
दोनों आरोपियों को लखनऊ के ATS थाने में पूछताछ के लिए ले जाया गया है और जल्द ही न्यायालय में पेश किया जाएगा। जांच अब इस दिशा में बढ़ रही है कि दोनों के संपर्क में और कौन-कौन लोग थे, जिनके साथ मिलकर उन्होंने राष्ट्रविरोधी गतिविधियां संचालित कीं। यह भी पता लगाया जा रहा है कि हारून ने कबाड़ के धंधे की आड़ में किस प्रकार से संवेदनशील जानकारी जुटाई, और तुफैल ने किन स्थानों की जानकारियां पाकिस्तान को पहुंचाईं। इन गिरफ्तारियों ने एक बार फिर यह सिद्ध किया है कि ISI का हनी ट्रैप और जासूसी नेटवर्क किस हद तक भारत में जड़े जमा चुका है। सुरक्षा एजेंसियां अब उन सभी संदिग्धों पर पैनी नजर रख रही हैं जो पाकिस्तानी नंबरों या उच्चायोग के अधिकारियों से संपर्क में रहे हैं।