पाकिस्तान पर मंडरा रहा है ये बड़ा संकट, बढ़ सकती है इमरान खान की मुश्किलें

आर्थिक संकट और आतंकवाद के मुद्दे पर चारो तरफ से घिरे पाकिस्तान (Pakistan) के लिए इस महीने एक और बुरी खबर आने वाली है। अक्टूबर में FATF की सालाना बैठक होने वाली है। डर है कि इस बैठक में पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में डाला जा सकता है। रिपोर्ट पर नजर डाले तो केवल एक पैरामीटर पर पाकिस्तान खरा उतरा है। चार पर बिल्कुल नहीं और बाक़ी पर आंशिक तौर पर उसने काम किया है। बता दें कि FATF जोकि देशों के आतंकी फंडिंग रोकने पर नजर रखता है, ने फरवरी 2019 में पाक को खरी-खरी सुनाते हुए तीखी चेतावनी भी दी थी।

गौरतलब है कि ग्रे लिस्ट में चल रहे पाकिस्तान को आतंकी फ़ंडिंग पर लगाम लगानी है और इसके लिए 18 महीने का नेगोसिएशन पीरियड है। एशिया पैसिक ग्रुप (APG) की सीधी हितायत है कि पाकिस्तान मनी लाउंडरिंग और टेरर फाइनेसिंग को रोकने ते लिए कठोर क़दम उठाए। बता दे, अगर पाकिस्तान ब्लैक लिस्ट में जाता है तो उसे मिलने वाली अंतरराष्ट्रीय मदद में रोक लग जाएगी। हवाला कारोबार पर लगाम लगाने के लिए 1989 में बना FATF एक अंतरदेशीय संगठन है। 2001 में इसके अधिकार को बढ़ाकर आतंक के लिए पैसे पर रोक लगाना भी कर दिया गया था।

FATF ने ने कहा था कि लश्कर, जैश और जमात उद दावा जैसे आतंकी संगठनों की फंडिंग पर सही तरीके से लगाम लगाने में पाकिस्तान नाकामयाब रहा है। पाकिस्तान को इन रणनीतिक कमियों से पार पाने के लिए काम करना चाहिए। पाकिस्तान इन आतंकी संगठनों- दाएश, अल कायदा, जमात-उद-दावा और उसी का अंग फलह-ए-इंसानियत फाउंडेशन, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हक्कानी नेटवर्क और तालिबान से जुड़े लोगों से बने खतरे का सही आकलन नहीं दिखाता।

FATF ने कहा था कि आतंकी फंडिंग को रोकने के लिए जिस एक्शन प्लान की डेडलाइन जनवरी 2019 थी उस पर भी पाकिस्तान ने थोड़ी ही प्रगति दिखाई है। FATF ने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए उसे मई 2019 तक टारगेट पूरे करने के निर्देश दिए थे। गौरतलब है कि ब्लैकलिस्ट में डाले गए देशों को 'हाई रिस्क' माना जाता है जहां जनता की बेहतरी के लिए दिया गया अंतरराष्ट्रीय फंड, आतंकी संगठनों तक पहुंचने का बड़ा खतरा होता है।