पाकिस्तान छाप रहा है 2000 रुपये के नकली नोट, सुरक्षा एजेंसियों की उड़ी नींद, पहचान पाना मुश्किल

देश के कई हिस्सों से 2000 रुपये के नकली नोट जब्त किए जा रहे है। सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि ये नोट पूरी तरह असली नज़र आ रहे हैं और नकली नोटों की ये खेप पाकिस्तान की तरफ से भेजी गई है। ऐसा माना जा रहा है कि पाकिस्तानी तंत्र ने 2000 रुपये के नोट की हू-ब-हू नकल कर ली है जिसके बाद सुरक्षा एजेंसियां और दिल्ली पुलिस भी फर्क नहीं कर पा रही है। जब्त नकली नोटों की खेप की जांच के बाद यह साबित हो रहा है कि एक बड़ी साजिश के तहत पाकिस्तान का सरकारी तंत्र भारत की अर्थव्यवस्था को ध्वस्त करने के लिए हाई-क्वालिटी के जाली भारतीय नोट थोक के हिसाब से छाप रहा है। बता दे, ET में छपी खबर के अनुसार दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के डीसीपी प्रमोद कुमार सिंह कुशवाहा की अगुवाई में सहायक पुलिस आयुक्त अतर सिंह की टीम ने 24 अगस्त को दिल्ली के नेहरू प्लेस से डी-कंपनी के एजेंट असलम अंसारी को पकड़ा था। असलम अंसारी के पास से 2000 के नोट वाली करीब साढ़े 5 लाख जाली भारतीय मुद्रा जब्त की गई थी। असलम मूल रूप से नेपाल का रहने वाला है।

जांच में पता चला है कि कराची के 'मलीर-हाल्ट' इलाके में स्थित 'पाकिस्तानी सिक्यॉरिटी प्रेस' में छापे जा रहे इस जाली नोट में भी पहली बार 'ऑप्टिकल वेरियबल इंक' का इस्तेमाल किया गया है। यह विशेष किस्म की स्याही 2000 के नोट के धागे पर इस्तेमाल होती है। इस इंक की खासियत है कि यह नोट पर हरे रंग की दिखाई देती है। नोट की दिशा ऊपर-नीचे करने पर इस स्याही का रंग बदलकर खुद-ब-खुद नीला हो जाता है। पाक खुफिया एजेंसी के आकाओं ने अब कराची की सरकारी प्रेस में छापे जा रहे जाली भारतीय नोट के निचले हिस्से में दाईं तरफ छपे सीरीज नंबर की भी नकल कर ली है। इसकी एक बानगी हाल ही में जब्त किए गए 2000 रुपये के नकली नोट में देखने को मिली।

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और भारतीय खुफिया एजेंसियों की संयुक्त जांच में खुलासा हुआ है 2000 और 500 के नए नोट एक और प्रमुख सिक्यॉरिटी फीचर की भी पहली बार आईएसआई के गुर्गों ने हू-ब-हू नकल कर ली है। 2000 के नए भारतीय नोट के एकदम बाईं और दाईं ओर के किनारे में 'ब्लीड-लाइनें' खींची गई हैं। ये सात लाइनें असल में विशेष रूप से नेत्रहीनों को नोट की पहचान आसानी से कराने में सहायक होती हैं। यह भी उच्च भारतीय तकनीक का ही कमाल है कि, नोट को गोल आकार में मोड़ने पर इन लाइनों के आपस में सधे हुए तरीके से मिल पाना अब तक लगभग नामुमकिन समझा जाता था।