इस तरह कैसे मिलेगा समय पर न्याय! देश की हाईकोर्ट में 42 फीसदी से ज्यादा पदों पर जज ही नहीं

न्यायपालिका को लोकतंत्र की मजबूती बढ़ाने वाले चार पैरों में से एक माना जाता हैं। इस न्यायपालिका को मजबूत बनाने का काम करते हैं जज अर्थात न्यायाधीश जो फैसला सुनाने का काम करते हैं। लेकिन देश के न्यायपालिका के हालात ऐसे हैं कि 25 हाईकोर्ट में जजों के स्वीकृत 1098 पद हैं इन पदों में से 633 पदों पर ही जज काम कर रहे हैं और कुल पदों में से 465 पद खाली चल रहे हैं। अर्थात देश की हाईकोर्ट में स्वीकृत जजों के 42 फीसदी से ज्यादा पदों पर जज नहीं हैं। ऐसे में कैसे समय पर न्याय मिल पाएगा।

देश के सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट में लगातार मुकदमों का अंबार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट में खाली चल रहे दस पदों पर मंगलवार को एक साथ नौ जजों का शपथ लेना शीर्ष अदालत के लिए राहत की बात है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में स्वीकृत कुल 34 पद हैं जिनमें से नौ नए जजों की नियुक्ति के बाद एक पद ही खाली बचता है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्वीकृत 160 पदों की तुलना में 68 पद खाली चल रहे हैं। जबकि कलकत्ता हाईकोर्ट के हालात भी खराब हैं और वहां पर कुल 72 पदों की तुलना में 36 पदों पर जज ही नहीं है। दिल्ली हाईकोर्ट में भी स्वीकृत 60 पदों में से 31 पद खाली है। राजस्थान हाईकोर्ट की स्थिति भी अच्छी नहीं है और यहां पर भी स्वीकृत 50 पदों में से 27 पद खाली ही चल रहे हैं। राजस्थान हाईकाेर्ट में 19 जजों पर काॅलेजियम एक साल में भी फैसला नहीं ले पाया है।