प्रधानमंत्री की झूठ बोलने की आदत की वजह से विपक्ष ने राज्यसभा से वॉकआउट किया: खड़गे

नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के दौरान विपक्षी दलों ने राज्यसभा से वॉकआउट किया क्योंकि वह ‘झूठ बोल रहे थे।’ उन्होंने मोदी पर हमला करते हुए कहा कि ‘झूठ बोलना और लोगों को गुमराह करना’ प्रधानमंत्री की ‘आदत’ है।

खड़गे की यह टिप्पणी उस समय आई जब विपक्ष ने संसद के ऊपरी सदन से बहिर्गमन किया, जबकि मोदी संविधान के बारे में बोल रहे थे।

खड़गे ने मीडिया से कहा, झूठ बोलना, लोगों को गुमराह करना और सच्चाई से परे बातें कहना उनकी आदत है। वे (भाजपा) कहते हैं कि हम (कांग्रेस) संविधान के खिलाफ हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि भाजपा-आरएसएस, जनसंघ और उनके राजनीतिक पूर्वजों ने भारत के संविधान का कड़ा विरोध किया था। उन्होंने उस समय डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर और पंडित जवाहरलाल नेहरू के पुतले जलाए थे। यह एक शर्मनाक बात थी।

खड़गे के अनुसार, अंबेडकर ने संविधान का मसौदा तैयार करने का श्रेय कांग्रेस को दिया था। कांग्रेस नेता ने कहा, मैं बस यह स्पष्ट करना चाहता था कि कौन संविधान के पक्ष में था और कौन इसके खिलाफ था। आरएसएस ने 1950 में अपने संपादकीय में लिखा था कि संविधान की सबसे बुरी बात यह है कि इसमें भारत के इतिहास के बारे में कुछ भी नहीं है। उन्होंने संविधान का विरोध किया। वे शुरू से ही इसके खिलाफ हैं और वे कहते हैं कि वे इसके पक्ष में हैं।

मोदी ने राज्य सभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के उत्तर के दौरान डॉ. बी.आर. अंबेडकर द्वारा तैयार संविधान के महत्व के बारे में बात की और बताया कि कैसे इसने उन्हें सार्वजनिक पद संभालने में सक्षम बनाया।

मोदी ने कहा, संविधान मेरे लिए सिर्फ नियमों का संकलन नहीं है, और मैं इसकी भावना और इसके हर शब्द का सम्मान करता हूं।

उन्होंने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा कि उन्होंने 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने का सुझाव दिया था, लेकिन ये वे लोग हैं जो आजकल संविधान की दुहाई देते हैं, जिन्होंने कहा कि हमारे पास पहले से ही गणतंत्र दिवस है और मेरे विचार को खारिज कर दिया। इस पर, विपक्षी नेताओं ने संसद में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।

विपक्ष के नेता के सदन से बाहर जाने पर मोदी ने कहा कि देश देख रहा है और जो लोग झूठ फैलाते हैं, उनमें सच सुनने की ताकत नहीं है।

उन्होंने कहा, जिनमें सच का सामना करने का साहस नहीं है, उनमें इन चर्चाओं में उठाए गए सवालों के जवाब सुनने का साहस नहीं है। वे उच्च सदन और उच्च सदन की गौरवशाली परंपरा का अपमान कर रहे हैं।