बढ़ते डिजिटलाइजेशन के दौर में अब ऑनलाइन गेमिंग कई लोगों के लिए करियर बन गया है। रौनक सेन, बालाजी रामनारायरन जैसे कई नाम हैं जो दिन के 8 घंटे ऑनलाइन गेम खेलने में बिताते हैं और यह सब उनका शौक नहीं है बल्कि वह पैसा कमाने के लिए यह सब करते हैं। गेमिंग कंपनियां गेम जीतने पर प्राइज मनी के रूप में मोटा पैसा दे रही हैं। भारत में ऑनलाइन वीडियो गेम्स खेलना एक प्रोफेशन बन गया है। जिसमें लोग नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर भागीदारी करते हैं और 5 लाख से 20 लाख तक प्रति टूर्नामेंट कमाते हैं।
इस साल की शुरुआत के 4 महीनों में यह आंकड़ा 3.5 करोड़ तक पहुंच गया है। दरअसल ऑनलाइन गेमिंग की लाइव स्ट्रीमिंग भी की जाती है जिससे बहुत सारे लोग खेल देख रहे होते हैं, ऐसे में कई विज्ञापन भी लगाये जाते हैं जिससे कुछ ही घंटों में मोटा पैसा कमाया जा सकता है।
ई-स्पोर्ट्स कंपनी कोबक्स के पास अपनी एक गेमिंग टीम है जिसके रहने खाने का खर्चा कंपनी उठाती है और हर व्यक्ति को 75,000 रुपये प्रति महीने भी देती है। मुंबई के अंधेरी के एक घर में टीम एक साथ रहती है और या तो गेमिंग का अभ्यास करती है या गेम खेलती है। चार ने आठ साल पहले प्रतिस्पर्धात्मक रूप से गेमिंग शुरू की थी। तीन साल पहले, कोबक्स ने उन्हें काम पर रखा, उन्हें गेमिंग ड्रेस से लेकर कस्टम-मेड कुर्सियों तक सबकुछ दिया और उन्हें टीम में बदलने के लिए कोई खर्च नहीं छोड़ी। तब से उन्होंने कई स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं जीती हैं। पिछले तीन महीनों मे दो बड़े टूर्नामेंट जीते - एक चीन में और दूसरा इंडोनेशिया में।
स्पांसरशिरप के साथ पेशेवर गेमर्स की संख्या पिछले दो वर्षों में भारत में तेजी से बढ़ी है। कोबक्स का अनुमान है कि 2016 में जहां 12 थी अब 30 पेशेवर टीमें हैं जो केवल गेमिंग से पैसा बनाती है।
गेमिंग के लिए ग्राफिक्स डिजाइन करने और गेमर कनेक्ट इवेंट आयोजित करने वाले एनवीडिया गेमर्स की संख्या 500 से 1,000 के बीच बताता है। दिसंबर में चेन्नई में एनवीडिया द्वारा आयोजित एक गेमर कनेक्ट इवेंट ने 5,000 गेमरों को आकर्षित किया था।
27 साल के साहिल ने वीडियोगेम डोटा2 के टूर्नामेंट्स में भाग लेकर अब तक 18 करोड़ रुपयों के बराबर रकम कमाई है। दो साल पहले उनकी टीम ने एक टूर्नामेंट में 66 लाख डॉलर (42 करोड़ रुपए) जीते थे। अमेरिका के मैडिसन में रहने वाले साहिल कॉलेज ड्रॉपआउट हैं। उन्होंने वस्कॉन्सिन यूनिवर्सिटी की पढ़ाई छोड़कर गेमिंग को ही फुलटाइम पैशन बना लिया है।
स्टैटिस्टा नामक पोर्टल द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार साहिल ने अब तक 67 गेमिंग टूर्नामेंट्स में हिस्सा लेकर 28।3 लाख डॉलर की धनराशि जीती है, जो भारतीय मुद्रा में 18 करोड़ रुपए से कुछ ज्यादा होती है। यानी उन्हें हर टूर्नामेंट से औसतन 27 लाख रुपए मिले हैं। ऑनलाइन गेमिंग की दुनिया में साहिल अरोरा का नाम यूनिवर्स है। इसकी स्पेलिंग वे UNiVeRsE लिखते हैं। वे एविल जीनियसेस नामक टीम के सदस्य हैं।
युवाओं के लिए करियर विकल्प के रूप में ऑनलाइन खेल की स्वीकृति 2022 एशियाई खेलों में ई-स्पोर्ट्स के स्लॉट के साथ बढ़ी है।
अब यह आश्चर्य की बात नहीं है कि कंपनियां गेमिंग की दूनिया में कूद पड़ी हैं। ऑनलाइन गेम की लाइव स्ट्रीमिंग यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर में लोकप्रिय है - और दर्शक बड़े पैमाने पर देखते हैं। एक ई-स्पोर्ट्स रिसर्च फर्म न्यूजज़ू का अनुमान है कि यूट्यूब पर अकेले मार्च में एक लोकप्रिय ऑनलाइन खेल लीग ऑफ लीजेंड देखने के लिए 11 मिलियन घंटे बिताए गए थे ट्विटर पर यह संख्या 28 मिलियन घंटे थी।
कोबक्स अगले तीन वर्षों में भारत से सर्वश्रेष्ठ गेमर्स प्राप्त करने के लिए $ 10 मिलियन का निवेश करने की योजना बना रहा है। एक मोबाइल प्रकाशन कंपनी नाज़ारा ने भारतीय ई-स्पोर्ट्स में $ 20 मिलियन का निवेश करने की योजना की घोषणा की है, और एक ई-स्पोर्ट्स लीग लॉन्च की है। रॉनी स्क्रूवाला के यू साइफर ने इस वर्ष 51 लाख रुपये के पुरस्कार राशि के साथ एक ई-स्पोर्ट्स चैंपियनशिप की घोषणा की है। पेशेवर गेमर्स भर्ती करने से कोबक्स और एनवीडिया जैसी कंपनियां अधिक स्पॉसरशिप कमाती हैं - जितना बेहतर खिलाड़ी प्रदर्शन करता है, उतनी अधिक स्पॉसरशिप कंपनी को मिलती है। दक्षिण कोरिया और अमेरिका में सैमसंग और कोका-कोला जैसे ब्रांड ई-स्पोर्ट्स में खिलाड़ियों और टीमों को जीतने पर स्पॉसरशिप देते हैं।