राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के CM आज लेंगे शपथ, समारोह के मौके पर दिखेगी विपक्षी एकता

विधानसभा चुनावों में मिली जीत के बाद मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में आज (17 नवंबर) कांग्रेस के सीएम मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। कांग्रेस ने तीनों ही राज्य में बीजेपी को पटखनी दी है। बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव को सेमीफाइनल की तरह देखा जा रहा था। तीनों राज्यों में होने में वाले शपथ ग्रहण समारोह के मौके पर विपक्षी एकता भी दिख सकती है। कांग्रेस पार्टी ने सभी विपक्षी दलों को इन समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रण दिया है। तय कार्यक्रम के तहत अशोक गहलोत सबसे पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। उसके बाद कमलनाथ मध्य प्रदेश और शाम में भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।

- जयपुर के ऐतिहासिक अल्बर्ट हॉल में सोमवार (17 दिसंबर) सुबह 10 बजे शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया जाएगा। माना जा रहा है कि आज केवल अशोक गहलोत और सचिन पायलट शपथ लेंगे। इस कार्यक्रम में कांग्रेस के दिग्गज तो शामिल होंगे ही, दक्षिण के भी राजनीतिक सूरमा मौजूद रहेंगे।

- अशोक गहलोत जहां सुबह 10 बजे शपथ लेंगे वहीं कमलनाथ भोपाल में दोपहर एक बजे जबकि रायपुर में शाम चार बजे भूपेश बघेल लेंगे शपथ। उम्मीद है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी तीनों ही राज्यों में होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेंगे। वहीं आंध्र प्रदेश मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू भी तीनों जगह समारोह में शामिल हो सकते हैं।

- समारोह के दौरान एच डी देवेगौड़ा, एच डी कुमारास्वामी और जम्मू कश्मी के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला भी शामिल हो सकते हैं।

- आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के रिश्तों में नरमी का संकेत देते हुए वरिष्ठ आप नेता संजय सिंह, राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में अशोक गहलोत के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगे। उन्होंने मीडिया से कहा, ‘‘दिल्ली के मुख्यमंत्री और पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल के लिए निमंत्रण आया है। उनकी ओर से मैं समारोह में शामिल होने जाऊंगा।’

- आम आदमी पार्टी दिल्ली में कांग्रेस पर लगातार हमले बोलती रही है। दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष अजय माकन विभिन्न मुद्दों पर नियमित केजरीवाल पर निशाना साधते रहे हैं। समझा जाता है कि दोनों विरोधी दल दिल्ली में सात लोकसभा सीटों पर चुनाव के दौरान गठबंधन की संभावना को तलाश रहे हैं।

- कमलनाथ सोमवार को मध्य प्रदेश के 18वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेंगे। वह अकेले शपथ लेगें। प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाएंगी। भोपाल के जम्बूरी मैदान में 17 दिसंबर को डेढ़ बजे होने वाले शपथग्रहण समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सहित यूपीए के कई दिग्गज नेताओं के मौजूद रहने की संभावना है। समारोह से पहले सर्वधर्म प्रार्थना होगी।

- मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए तृणमूल कांग्रेस के नेता दिनेश त्रिवेदी शामिल होंगे।

- बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती इस शपथ ग्रहण समारोह से दूरी बना कर रख सकती हैं।

- अखिलेश यादव और मायावती के अनुपस्थित रहने की स्थिति में विपक्षी एकता पर सवाल खड़े हो सकते हैं। बता दें कि पिछले साल दोनों ही नेता ने कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लिया था।

- अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के छत्तीसगढ़ के पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे ने आज यहां संवाददाता सम्मेलन में बताया कि पाटन क्षेत्र से विधायक और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भूपेश बघेल को विधायक दल ने अपना नेता चुना है। बघेल राज्य के नए मुख्यमंत्री होंगे। उन्होंने बताया कि बघेल सोमवार (17 दिसंबर) को शाम 4 बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। उनके साथ और कोई मंत्री शपथ नहीं लेंगे।

- खड़गे ने कहा, ‘‘राज्य में 15 वर्ष बाद सत्ता में आने के कारण हमारे समक्ष कई चुनौतियां हैं। हम चुनाव में किए वादे पूरे करेंगे और हमें उम्मीद है कि बघेल अपनी जिम्मेदारियों को अच्छी तरह निभाएंगे।’’

- इस बीच, आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर पार्टी ने कहा कि राज्य में नई कांग्रेस सरकार समानता, पारदर्शिता और एकजुटता के साथ काम करेगी और उसका पहला काम किसानों का कर्ज माफ करना होगा। पार्टी ने लिखा, ‘‘ भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री चुने जाने पर छत्तीसगढ़ में जश्न। हम उन्हें शुभकामनाएं देते हैं क्योंकि उन्होंने समानता, पारदर्शिता और एकजुटता की सरकार का गठन किया है और इसकी शुरुआत किसानों की कर्ज माफी के साथ हो रही है, जैसा हमने वादा किया था।’’

- तीनों ही राज्यों में नतीजें जारी होने के बाद मौजूदा मुख्यमंत्रियों ने प्रदेश में हार की जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

- पांच राज्यों में हुए चुनाव में कांग्रेस मिजोरम और तेलंगाना में सत्ता में आने में सफल नहीं हो पाई थी। हालांकि बीजेपी के लिए 2014 के बाद यह सबसे बड़ी हार के तौर देखा जा रहा है।