कोरोना के मुश्किल दौर में नर्स ने दिखाई सकारात्मकता, नौकरी छोड़ लावारिसों का कर रही अंतिम संस्कार

कोरोना का मुश्किल दौर जारी हैं जहां एक-दूसरे ही अपनों का साथ छोड़ रहे हैं और आए दिन रिश्तों की मौत हो रही हैं। देखा जा रहा हैं कि कोरोना से मरने वाले लोगों के अंतिम संस्कार में कई रिश्तेदार कतरा रहे हैं। इस बीच ओडिशा के भुवनेश्वर से एक नर्स की सकारात्मकता देखने को मिली जो नौकरी छोड़ लावारिसों का अंतिम संस्कार कर रही हैं। हम बात कर रहे हैं नर्स मधुस्मिता की जिन्होनें इस काम के लिए अपनी नौ साल की अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी तक छोड़ दी और अपने पति के साथ इस काम में जुट गई। उनके इस फैसले के कारण दोस्तों और रिश्तेदारों से उन्हें खूब सुनना पड़ा लेकिन उन्होंने इन सबको नजरअंदाज किया।

37 साल की मधुस्मिता प्रुस्ती कोलकाता के फोर्टिस अस्पताल में नर्सिंग का काम करती थीं, लेकिन अपने पति की मदद के लिए 2019 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी। दो बच्चों की मां मधुस्मिता कोरोना काल में अब तक करीब 500 शवों का अंतिम संस्कार कर चुकी हैं। मधुस्मिता और उनके पति भुवनेश्वर में लोगों के अंतिम संस्कार के लिए प्रदीप सेवा ट्रस्ट चलाते हैं। न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मधुस्मिता कोलकाता के अस्पताल में 30,000 रुपए प्रति महीने की नौकरी कर रही थीं। दिन या रात में भी किसी वक्त वो कॉल आने पर लोगों को मना नहीं करती हैं। उन्होंने कहा, “लाश को उठाने से लेकर लकड़ियों का प्रबंध करने और कभी-कभी संस्कार के अनुसार सामानों को इकट्ठा भी करना पड़ता है।” पुलिस भी रेलवे ट्रैक या अस्पतालों से लावारिस लाशों को लाने में प्रदीप और मधुस्मिता की मदद लेते हैं।

समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में मधुस्मिता ने बताया, “मैं कोलकाता के फोर्टिस अस्पताल के पेडियाट्रिक (शिशु रोग) विभाग में नर्स के रूप में काम कर रही थी। मैंने वहां 2011-19 के बीच 9 सालों तक काम किया। मेरे पति पैर में चोट के बाद अंतिम संस्कार नहीं कर पाते थे इसलिए मैंने ओडिशा लौटने का फैसला लिया था। मैं 2019 में ओडिशा आई थी और रेलवे ट्रैक पर पड़ी लावारिस लाशों, सुसाइड मामलों और दूसरी लाशों के अंतिम संस्कार में अपने पति की मदद करने लगी।” मधुस्मिता ने कहा कि महिला होने के कारण अंतिम संस्कार करने के लिए मेरी आलोचना की गई लेकिन मैंने अपने पति के नाम पर चल रहे प्रदीप सेवा ट्रस्ट के तहत काम करना जारी रखा।”

उन्होंने कहा, “हमने भुवनेश्वर नगर निगम (BMC) के साथ समझौता किया है, जिसके तहत कोविड अस्पताल से मरीजों के शव को लाकर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।” वहीं मधुस्मिता के पति प्रदीप कुमार प्रुस्ती ने बताया, “मैं भुवनेश्वर में पिछले 11 सालों से लाशों के अंतिम संस्कार करने का काम कर रहा हूं। मेरी पत्नी भी करीब ढाई साल से जुड़ी हुई है। इस काम के अलावा हम दोनों सब्जी बेचने का भी काम करते हैं।”