1 करोड़ रुपये से ज्यादा इनकम घोषित करने वालों की संख्या में हुआ 60 फीसदी इजाफा, रिपोर्ट में खुलासा

कालाधन रखने वालों और टैक्स की चोरी करने वालों के खिलाफ मोदी सरकार की बड़ी कारवाई का इनकम टैक्स कलेक्शन पर साफ़ नजर आ रहा है। इनकम टैक्स विभाग (सीबीडीटी) के मुताबिक बीते चार सालों में 80 फीसदी बढ़ा आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या मोदी साल के चार सालों के राज में 2013-14 में जहां 3.79 करोड़ आयकर रिटर्न भरा गया था जो वित्तीय साल 2017-18 में बढ़कर 6.85 करोड़ तक जा पहुंचा है। साल 2013-14 में टैक्सपेयर्स ने आयकर रिटर्न भरकर 26.92 लाख करोड़ रुपये इनकम घोषित किया था जो 2017-18 में 67 फीसदी बढ़कर 44.88 लाख करोड़ तक जा पहुंचा है। इन दौरान कॉरपोरेट टैक्सपेयर्स जहां औसतन 32.28 लाख रुपये देते थे जो बढ़कर 49।95 लाख रुपये तक जा पहुंचा है यानि 55 फीसदी की उछाल। वहीं individual टैक्सपेयर्स जहां पहले 46,377 रुपये औसतन टैक्स देते थे वो 3 साल में बढ़कर 58576 रुपये पर जा पहुंचा है 26 फीसदी ज्यादा।

1 करोड़ रुपये से ज्यादा इनकम घोषित करने वालों की संख्या 3 साल में 60 फीसदी बढ़ा

एसेसमेंट ईयर 2014-15 में 88,649 टैक्सपेयर्स ने 1 करोड़ रुपये से ज्यादा इनकम घोषित किया था जिनकी संख्या मोदी सरकार के राज में 2017-18 एसेसमेंट ईयर में बढ़कर 1,40,139 तक जा पहुंचा है। व्यक्तिगत करदाता जिन्होंने 1 करोड़ रुपये से ज्यादा इनकम आयकर रिटर्न में घोषित किया उनकी संख्या 3 साल में 48,416 से बढ़कर 81,344 तक जा पहुंची है।

सीबीडीटी ने कहा ‘‘ एक करोड़ रुपये से अधिक की सालाना आय वाले कुल करदाताओं (कंपनियों, फर्में, हिंदू अविभाजित परिवार) की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है।’’ सीबीडीटी ने कहा कि आकलन वर्ष 2014-15 में एक करोड़ रुपये से अधिक की आय का खुलासा करने वाले करदाताओं की संख्या 88,649 थी। वहीं 2017-18 में यह बढ़कर 1,40,139 हो गई।

यह 60 प्रतिशत की वृद्धि है। इस दौरान एक करोड़ रुपये से अधिक की आय वाले व्यक्तिगत करदाताओं की संख्या 68 प्रतिशत बढ़कर 48,416 से 81,344 पर पहुंच गई। सीबीडीटी के चेयरमैन सुशील चंद्रा ने कहा कि यह आंकड़ा पिछले चार साल के दौरान कर विभाग द्वारा किए गए विधायी , सूचनाओं के प्रसार और प्रवर्तन/ अनुपालन के प्रयासों की वजह से हासिल हो पाया है।

आंकड़ों के अनुसार पिछले चार वित्त वर्षों में आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों का आंकड़ा भी 80 प्रतिशत बढ़ा है । 2013-14 में यह 3.79 करोड़ था, जो 2017-18 में 6.85 करोड़ हो गया।