टीकाकरण के बाद 23 लोगों की मौत, नॉर्वे सरकार ने कहा - इन लोगों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है वैक्सीन

दुनिया भर के कई देशों में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के उपायों के बीच टीकाकरण की प्रक्रिया शुरू हो गई है। भारत में भी आज शनिवार से दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान की शुरुआत होने वाली है। आज सुबह 10:30 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इसका शुभारंभ करेंगे। पहले चरण में तीन करोड़ स्वास्थ्यकर्मियों को वैक्सीन दी जाएगी। पहले चरण में एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) के कार्यकर्ता सहित सरकारी और निजी क्षेत्र के स्वास्थ्य कर्मचारियों को टीका लगेगा। इस बीच नॉर्वे ने दावा किया है कि वैक्सीन लगाए जाने के बाद यहां 23 लोगों क मौत हो गई है। दरअसल, बीते साल 26 दिसंबर से नॉर्वे में वैक्सीनेशन की प्रक्रिया शुरू की गई थी।

नॉर्वे में अमेरिका निर्मित फाइजर की वैक्सीन इस्तेमाल में लाई जा रही है। नॉर्वे ने अपने दावे में कहा कि वैक्सीनेशन के बाद मारे गए लोग बुजुर्ग थे। फिलहाल देश में 33,000 लोगों को वैक्सीन की पहली डोज मिल चुकी है। बताया गया कि नॉर्वे में टीकाकरण के बाद मरने वाले लोग बहुत वृद्ध हैं। मृतकों की उम्र 80 साल से ऊपर है। कई 90 साल की उम्र के पार हैं।

इन लोगों के लिए हो सकती खतरनाक साबित

नॉर्वे की सरकार ने कहा है कि वैक्सीन बुजुर्ग और पहले से बीमार लोगों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। नॉर्वेजियन मेडिसिन एजेंसी के अनुसार, 23 मौतों में से 13 की ऑटोप्सी कर दी गई है, जिसके नतीजों से पता चला है कि वैक्सीन के सामान्य दुष्प्रभाव ने भी बीमार और बुजुर्ग लोगों पर गंभीर असर किया।

नॉर्वेजियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ ने कहा कि गंभीर बीमार लोगों के लिए हल्के वैक्सीन साइड इफेक्ट्स के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। जिनकी जिन्दगी बहुत कम बची है उन पर वैक्सीन का लाभ मामूली या सकता है।

नॉर्वे ने कहा है कि इस सिफारिश का मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि युवा और स्वस्थ लोगों को टीका लगवाने से बचना चाहिए, लेकिन यह इस बात का एक प्रारंभिक संकेत है कि देशों को इस पर गंभीर नजर रखनी होगी। यूरोपीय मेडिसिन एजेंसी के प्रमुख एमर कुक ने कहा है कि कोविड वैक्सीन की सुरक्षा पर नज़र रखना होगा।

भारत में दो वैक्सीन को मिली मंजूरी

आपको बता दे, भारत में केंद्र सरकार ने दो वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी है। इन दो वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी है वे है कोवीशील्ड और कोवैक्सिन। कोवीशील्ड को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका ने मिलकर बनाया है। भारत में इसे सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया बना रही है। कोवैक्सिन को हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक बना रही है। इसे उसने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरलॉजी (NIV) के साथ मिलकर विकसित किया है। कोवैक्सीन पूरी तरह से स्वदेशी है।