देश भर के चिकित्सक राष्ट्रीय मेडिकल आयोग विधेयक-2017 के विरोध में आज सोमवार को दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक सांकेतिक हड़ताल करेंगे। इस बात कि जानकारी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा रविवार को दी गई। आईएमए के महासचिव डॉ. आर. एन. टंडन ने कहा, "यह विधेयक हमारे ऊपर थोपा जा रहा है। मेडिकल बिरादरी के लोग अपनी सेवाएं वापस लेकर एलापैथी मुक्त भारत रखेंगे। "
आईएमए ने एक विज्ञप्ति जारी कर कहा, इस विधेयक पर उसे सख्त एतराज है। एसोसिएशन ने विधेयक में कई खामियां बताईं। हालांकि सरकार ने कुछ मुद्दों का आंशिक कर दिया है मगर प्रमुख आपत्तियां अभी भी हैं। आईएमए को उस तंत्र को लेकर विरोध है जिसमें आयुष डॉक्टर एलोपैथिक दवा भी लिख सकते हैं। एसोसिएशन ने कहा कि ब्रिज कोर्स को अनिवार्य किए बगैर और इसे तय करने का दायित्व राज्यों पर छोड़कर केंद्र सरकार ने पहले ही पिछले दरवाजे से कथित तौर पर प्रवेश को संभव बना दिया है।
आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रवि वानखेड़कर ने कहा, " सबसे बड़ी चिंता का मसला निजी प्रबंधनों पर छोड़ दी गई मेडिकल सीट का प्रतिशत है। एक तरफ सरकार ग्रामीण क्षेत्र के चिकित्सकों की बात करती है तो दूसरी ओर शहरी क्षेत्र धनी लोगों के लिए अधिक कोटा प्रदान करती है। इस विधेयक से योग्य छात्र मेडिकल शिक्षा से पूरी तरह वंचित हो जाएंगे।" उन्होंने कहा कि निम्न सामाजिक आर्थिक वर्ग के लोगों का ही इससे नुकसान होगा। एनएमसी में गरीब विरोधी और अमीर समर्थक झुकाव को संशोधित करना होगा।
रवि वानखेडकर ने कहा कि आईएमए इस एनएमसी विधेयक 2017 का विरोध करती है जो आम जनता, समान स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था और सभी के लिए किफायती मेडिकल शिक्षा के सिद्धांत के खिलाफ है। सरकार ने यदि इस विधेयक को लागू करने के लिए बाध्य किया तो समस्त चिकित्सा जगत अपनी सेवाएं त्यागकर 'एलोपैथी मुक्त भारत' मनाएगा।
आईएमए पिछले दो वर्षो से अधिक समय से भारत सरकार को इन चिंताओं से अवगत कराती आ रही है। पुरजोर विरोध के बावजूद सरकार हमारी दिक्कतों और जरूरतों की लगातार अनदेखी कर रही है।