फांसी का खौफ : निर्भया के दोषियों की उड़ी नींद, खाना-पीना भी छूटा

निर्भया के दोषियों की दया याचिका पर अभी राष्ट्रपति की ओर से कोई अंतिम फैसला नहीं आया है लेकिन इससे पहले तिहाड़ जेल में फांसी तैयारियां शुरू हो गई है। खबर है कि चारों दोषियों को 16 या फिर 29 दिसंबर (निर्भया की मौत हुई थी इस दिन) को फांसी पर लटकाया जा सकता है। निर्भया गैंगरेप के चारों दोषियों को में से अधिकतम वजन वाले कैदी के वजन के हिसाब से एक डमी को फांसी देकर देखा गया। डमी में 100 किलो बालू-रेत भरी गई थी। डमी को एक घंटे तक फांसी के तख्ते पर लटकाए रखा गया। इसके पीछे का मकसद यह देखना था कि अगर दोषियों को फांसी दी जाती है तो क्या फांसी देने वाले वह स्पेशल रस्सी इनके वजन से टूट तो नहीं जाएगी।

चारों दोषियों की उड़ी नींद, सताने लगा फांसी का डर

तिहाड़ जेल में हो रही इस तैयारियों की भनक चारों दोषियों (अक्षय, मुकेश, विनय और पवन) को लग गई है। अब उनकी नींद उड़ चुकी है, घबराहट में उनका खाना-पीना तक छूट गया है। निर्भया गैंगरेप के तीन दोषी अक्षय, मुकेश और मंडोली जेल से यहां शिफ्ट किए गए पवन को तिहाड़ की जेल नंबर-2 के वॉर्ड नंबर-3 के तीन सेल में रखा गया है। जबकि चौथे कैदी विनय शर्मा को जेल नंबर-4 में रखा हुआ है। सभी की नींद उड़ चुकी है। ये सभी न केवल घबराए हुए हैं, बल्कि ठीक से भोजन भी नहीं कर पा रहे हैं। फांसी की आहट का असर ये है कि अब दोषी अपने-अपने सेल में देर रात तक चक्कर काटते रहते हैं। किसी भी दोषी को कोई दवा नहीं दी गई है, लेकिन इन्हें तरल पदार्थ और ठोस भोजन इस तरह से दिया जा रहा है कि इनका रक्तचाप सही रहे।

पवन जल्लाद ने PM मोदी से की अपील, कहा - अब मेरा जीना मुश्किल हो गया

वही उत्तर प्रदेश के मेरठ के रहने वाले पवन जल्लाद (Pawan Jallad) को बुलाने के लिए लेटर लिखा गया है। लेकिन फांसी से पहले पवन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से एक मार्मिक अपील की है। अब तो जीना भी मुश्किल हो गया है, ऐसा कहते हुए पवन एक लेटर में अपनी आपबीती लिखकर सभी को भेज रहा है। पवन जल्लाद का कहना है कि कुछ समय पहले तक मुझे मेरठ जेल से 3000 रुपये महीना मानदेय मिलता था। मेरे अथक प्रयासों के बाद मानदेय बढ़ाकर 5000 रुपये मिलने लगा। लेकिन आज की इस महंगाई के दौर में अब 5000 रुपये भी नाकाफी साबित हो रहे हैं। परिवार का पालन-पोषण करना कठिन होता जा रहा है। मैं बीते काफी समय से लगातार संबंधित अधिकारियों से मानदेय बढ़ाने के संबंध में गुहार लगा चुका हूं। लेकिन अभी तक इस मामले में मेरी सुनवाई नहीं हुई है। पवन जल्लाद का कहना है कि मेरा मकान टूट-फूट गया है। बच्चे बड़े हो गए हैं। उनकी पढ़ाई-लिखाई कराना मुश्किल होता जा रहा है। कई बार तो स्कूल की फीस तक नहीं जा पाती है। इस परेशानी को देखते हुए मेरे बेटे ने इस काम को करने के लिए अभी से मना कर दिया है। आर्थिक परेशानियों के चलते मेरा जीना मुश्किल हो गया है। साइकिल पर कपड़े रखकर गली-गली फेरी लगाता हूं, तब कहीं जाकर दो वक्त की रोटी का जुगाड़ हो पाता है।

बता दे, मेरठ के रहने वाले पवन जल्लाद का परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी जेल में फांसी देने का काम करता है। पवन से पहले उसके परदादा लक्ष्मण सिंह, दादा कल्लू जल्लाद और पिता मम्मू सिंह भी फांसी देने का काम करते थे। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए अब पवन फांसी देता है। पवन का बीवी, बच्चों संग छोटे-बड़े भाइयों वाला परिवार है।