निर्भया रेप केस: SC में नहीं चलीं दोषी अक्षय के वकील की ये दलीलें...

दिल्ली में हुए निर्भया कांड के 4 दोषियों में से एक अक्षय ठाकुर की पुनर्विचार याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दी है। कोर्ट ने फांसी की सजा बरकरार रखते हुए कहा कि दोषी का गुनाह माफी लायक नहीं है। करीब 30 मिनट की दलीलों में दोषी अक्षय के वकील एपी सिंह ने कहा कि पीड़ित ने आखिरी बयान में अक्षय या किसी दोषी का नाम नहीं लिया। पीड़ित की मौत ड्रग ओवरडोज से हुई थी। मीडिया और राजनीतिक दबाव में अक्षय को सजा सुनाई गई। वह निर्दोष और गरीब है। भारत अहिंसा का देश है और फांसी मानवाधिकार का उल्लंघन है। इस पर कोर्ट ने कहा कि आप ठोस व कानूनी तथ्य रखें, बताएं कि हमारे फैसले में क्या कमी थी और क्यों पुनर्विचार करना चाहिए।

- दोषी अक्षय के वकील एपी सिंह ने याचिका पढ़ते हुए वेद पुराण, त्रेता युग का जिक्र किया और कहा कि कलयुग में लोग केवल 60 साल तक जीते हैं जबकि दूसरे युग में कही ज्यादा। उन्होंने कहा कि निर्भया की मौत अस्पताल की लापरवाही से हुई। इसके साथ ही दोषी राम सिंह की आत्महत्या का भी मुद्दा उठाया गया। निर्भया के दोस्त की गवाही पर भी सवाल खड़े किए गए। वकील एपी सिंह ने कहा पीड़ित का दोस्त मीडिया से पैसे लेकर इंटरव्यू दे रहा था। इससे केस प्रभावित हुआ। वह विश्वसनीय गवाह नहीं था। इस पर जस्टिस भूषण ने कहा कि इसका इस मामले से क्या संबंध है। वकील ने कहा- वह लड़का मामले में इकलौता चश्मदीद गवाह है। उसकी गवाही मायने रखती है।

- दोषी अक्षय के वकील एपी सिंह ने कहा कि जब देश में इतने लोगों की फांसी लंबित है, दया याचिका दाखिल होने के बाद भी तो उनको ही लटकाने की जल्दी और हड़बड़ी क्यों? ये प्रेशर में हो रहा है। वकील ने मुख्य गवाह अमरिंदर पांडे पर सवाल उठाया और कहा कि मामले में उनके सबूत और प्रस्तुतियां अविश्वसनीय हैं।

- वकील ने तिहाड़ के पूर्व जेल अधिकारी सुनील गुप्ता की किताब का जिक्र किया। जिसमें इस बात का संदेह जताया गया था कि राम सिंह की जेल में हत्या की गई थी। ये नए तथ्य हैं, जिन पर कोर्ट को फिर से विचार करना चाहिए। इस पर बेंच ने कहा कि हम लेखक की बातों पर नहीं जाना चाहते। ये एक खतरनाक ट्रेंड होगा, अगर लोगों ने ट्रायल के बाद किताबें लिखना शुरू कर दिया तो ये सही नहीं होगा।

- दोषी अक्षय के वकील एपी सिंह ने कहा पीड़ित का आखिरी बयान संदेहास्पद था। उसे इसके लिए सिखाया और पढ़ाया गया था। लड़की ने अक्षय का नाम नहीं लिया और न ही वह वारदात में शामिल था। उसे फंसाया गया है। पीड़ित की मौत सेप्टीसीमिया और ड्रग ओवरडोज से हुई थी। दवा के रूप में मॉर्फिन दिए जाने से वह नशे में थी, तो आखिरी बयान कैसे संभव हुआ। मौत से पहले उसके 3 बयान लिए गए, जिनमें विरोधाभास है।

दोषी अक्षय के वकील एपी सिंह के बाद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बहस की शुरुआत की। मेहता ने कहा कि पुनर्विचार याचिका को खारिज किया जाना चाहिए। इस मामले में निचली अदालत, हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका पर फैसला सुना दिया है। ऐसे में इस याचिका को भी खारिज करना चाहिए।

- सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ये मामला फांसी का फिट केस है। इस मामले में दोषियों को फांसी ही मिलनी चाहिए। ये मानवता के खिलाफ हमला था। इस मामले में किसी भी तरह की नरमी नहीं बरतनी चाहिए। इस मामले का कोर्ट जल्द निपटारा करे। दोषियों के तरफ से बार-बार केस को लंबित किया जा रहा है। इन केस में बिना देरी के तुरंत फैसला करना चाहिए। यह अपराध ऐसा गंभीर है जिसे भगवान भी माफ नहीं कर सकता, जिसमें सिर्फ फांसी की सजा ही हो सकती है। ऐसे राक्षसों को पैदा कर ईश्वर भी शर्मसार होता होगा। इनसे कोई रहम नहीं होनी चाहिए।

हत्यारों को पहचानें

अक्षय ठाकुर: बस में हेल्पर। रेप, हत्या, सबूत मिटाने का दोषी। बिहार का रहने वाला है। स्कूल ड्रॉपआउट है। 2011 में दिल्ली आया था। वारदात के वक्त 28 वर्ष का था। अब वह 35 वर्ष का है।

विनय शर्मा: जिम ट्रेनर, दिल्ली के आरके पुरम का निवासी। स्कूली शिक्षा लेने वाला इकलौता दोषी। वारदात के वक्त उम्र 20 वर्ष, अब 27 वर्ष

मुकेश सिंह: बस ड्राइवर। मुख्य दोषी रामसिंह का भाई। बस क्लिनर था। राजस्थान का रहने वाला। रेप के बाद निर्भया पर रॉड से हमला किया था। गैंगरेप हत्या का दोषी। वारदात के वक्त उम्र 29 वर्ष, अब 36 वर्ष।

पवन गुप्ता: फल दुकानदार। मजदूरी भी किया था। रेप, हत्या, सबूत मिटाने का दोषी। दिल्ली के आरकेपुरम का निवासी। वारदता के वक्त उम्र 19 वर्ष, अब 26 वर्ष।