महात्मा गाँधी नरेगा में लगे संविदाकर्मी होंगे स्थायी, भजनलाल सरकार का बड़ा फैसला

जयपुर। राजस्थान की भाजपा सरकार ने महात्मा गाँधी नरेगा में लगे उन कर्मियों को स्थायी करने का फैसला लिया है जो इस कार्य में पिछले 9 साल से या उससे अधिक की अवधि पूरी कर चुके हैं। राज्य सरकार ने महात्मा गांधी नरेगा में लगे संविदाकर्मियों को स्थायी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अन्य विभाग या योजना की सेवा अवधि को इसमें शामिल नहीं किया जाएगा।

राज्य के ग्रामीण विभाग एवं पंचायती राज विभाग ने इस संबंध में राज्य के सभी जिला कार्यक्रम समन्वयक, ईजीएस एवं कलेक्टरों को निर्देश जारी किए हैं। इसमें कहा गया है कि 11 जनवरी 2022 द्वारा जारी राजस्थान कांट्रेक्च्युअल टू सिविल पोस्ट रूल 2022 के नियम-20 के तहत ग्रामीण विकास विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण में सृजित 4966 नियमित पदों की प्रशासनिक स्वीकृति 7 मार्च 2024 को जारी की गई है।

इन आदेशों के तहत महात्मा गांधी नरेगा योजना के अंतर्गत नियुक्ति प्राप्त संविदाकर्मी जो 9 वर्ष या उससे अधिक की अवधि में संतोषजनक कार्य पूर्ण कर चुके हैं, की स्क्रीनिंग की जानी है। जिला स्तरीय कमेटी द्वारा इनकी पात्रता की जांच एवं दस्तावेज सत्यापन का कार्य किया जाना है। 9 साल की अवधि की गणना 1 अप्रैल 2024 को आधार मानकर की जाएगी।

ग्रामीण विकास विभाग ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के अधीन संविदा वाले 4966 पदों को नियमित मान लिया है। संविदाकर्मियों को नियमित करने के 2022 के नियमों के अंतर्गत यह आदेश निकाला गया है।

अब तक ज्यादातर विभाग संविदा के पदों को इन नियमों के माध्यम से नियमित किया जा चुका है, लेकिन अब भी कई विभागों में इन नियमों की पालना नहीं हुई है। इनकी नियमितता के आदेश को ग्रामीण विकास उप सचिव प्रशासन बाबूलाल वर्मा ने जारी किए है। इसको लेकर नरेगा कार्मिक संघ अध्यक्ष दिनेश मीणा कैबिनेट मंत्री किरोड़ीलाल मीणा का आभार जताया है।

ग्रामीण विकास विभाग के इन पदों पर मनरेगा में संविदा पर 9 साल कार्य करने के अनुभवी कर्मचारियों को 2022 के नियमों के अंतर्गत नियमित किया जाएगा। ग्रामीण विकास विभाग के अनुसार कनिष्ठ तकनीकी सहायक के 1698, ग्राम रोजगार सहायक के 1548, डाटा एंट्री सहायक के 699, लेखा सहायक के 622, एमआईएस मैनेजर के 159, सहायक के 150, समन्वयक के 96 तथा प्रोग्रामिंग एवं एनालिसिस विशेषज्ञ व प्रोग्रामिंग विशेषज्ञ के एक-एक पद शामिल किए गए हैं।

केंद्र सरकार ने 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी की शुरुआत की थी। जिसका 2 अक्टूबर 2009 को नाम बदलकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम कर दिया गया। इस अधिनियम के तहत राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब परिवार के व्यस्क सदस्यों (उनमे महिलाएं भी शामिल हैं) को साल में 100 दिन के रोजगार की गारंटी दी जाती है।