बीकानेर : ये कैसी निर्दयता, झाड़ियों में मिला बिना कपड़ों के नवजात, नीला पड़ा पूरा शरीर

श्रीडूंगरगढ़ में जन्म के तुरंत बाद बच्चे को फेंका, पीबीएम में रैफर किया, अब तबीयत में सुधार।अपने कलेजे के टुकड़े के लिए मौत से भी लड़ जाने वाली मां मंगलवार को निर्दयी कैसे हो गई? यह समझ से परे है। मंगलवार सुबह एक मां ने श्रीडूंगरगढ़ तहसील के लाडेरा गांव में हाड़ कंपकंपाने वाली ठंड में अपने कलेजे के टुकड़े को बिना कपड़ों के कंटीली झाड़ियों में फेंक दिया। गनीमत यह रही कि बच्चे के रोने की आवाज सुनकर भूराराम, श्योकरण और रेवंतराम ने पुलिस को सूचना दी और बिना कपड़ों के पड़े इस नवजात को सर्दी से बचाने के लिए तत्काल कंबल ओढ़ा दिया।

इन लोगों ने पुलिस को बताया कि जब वे वहां से गुजर रहे थे तो वहां घर की बाड़ में एक नवजात के रोने की आवाज सुनाई दी। बच्चे के रोने की आवाज जिधर से आ रही थी, वहां जाकर देखा तो कंटीली झाड़ियों में एक बच्चा दिखा। हाड़ कंपकंपाने वाली इस ठंड में बच्चे के तन पर एक भी कपड़ा नहीं था। पहले तो बच्चे को कंबल ओढ़ाया और फिर गांव की एएनएम गंगादेवी को मौके पर बुलाया।

एएनएम के आने के बाद बच्चे को 108 एंबुलेंस में श्रीडूंगरगढ़ हॉस्पिटल पहुंचाया। यहां डॉक्टर एसएस नांगल ने उसे संभाला और नवजात को कपड़े मंगवाकर पहनाए। बच्चे की हालत में थोड़ा सुधार होने के बाद उसे बीकानेर के पीबीएम हॉस्पिटल रैफर कर दिया। जहां उसकी हालत में सुधार दिख रहा है। भूराराम जाट ने अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ श्रीडूंगरगढ़ थाने में मुकदमा दर्ज करवाया है।

झाड़ियों में मिलने से करीब 30 मिनट पहले ही हुआ था जन्म

श्रीडूंगरगढ़ हॉस्पिटल के डॉ. एसएस नांगल ने बताया कि जन्म के आधे घंटे बाद ही नवजात को झाड़ियों में फेंक दिया गया। कंटीली झाड़ियों में फेंकने के कारण बच्चे के हाथ, पैर, गले और पेट पर कांटे भी चुभ गए। करीब चार से पांच घंटे तक बिना किसी कपड़ों के ठंड में रहने के कारण बच्चे को हाइपोथर्मिया हो गया था, जिससे उसका शरीर नीला पड़ गया।

ग्रामीणों ने बच्चे को जब संभाला तब उसकी सांसें रुक-रुक कर चलने की स्थिति में थी। एएनएम गंगादेवी ने कृत्रिम सांस दी, जिसके कारण ही उसकी जान बच पाई। पीबीएम के पीडिएट्रिक हाॅस्पिटल के डाॅ. मदनगाेपाल ने बताया कि अब बच्चे की हालत में सुधार है।