तीन तलाक के संशोधित बिल से जुड़ी है ये 5 अहम बातें, आप भी जान ले

लोकसभा में ट्रिपल तलाक बिल गुरुवार को पेश किया गया। मई में अपना दूसरा कार्यभार संभालने के बाद एनडीए की सरकार ने संसद के पहले सत्र में विधेयक का मसौदा पेश किया था। कई विपक्षी दलों ने इसका कड़ा विरोध किया है लेकिन सरकार का यह कहना है कि यह विधेयक लैंगिक समानता और न्याय की दिशा में एक कदम है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और डीएमके मांग कर रही हैं कि इसे जांच पड़ताल के लिए संसदीय समिति को सौंपा जाए। आज लोकसभा की मंजूरी के लिए इस विधेयक को रखा गया है। संख्या बल पक्ष में होने के चलते सरकार के लिए इसे लोकसभा में पारित करवाना उतना मुश्किल नहीं है। लेकिन राज्यसभा में इसे पास कराना सरकार के लिए मुश्किल चुनौती होगी।

केंद्रीय कैबिनेट ने कुछ संशोधनों के साथ इसे पहले भी पारित किया जा चुका है। 29 दिसंबर 2017 को लोकसभा में यह विधेयक पारित हो गया था, जिसमें तुरंत तीन तलाक देने को अपराध की श्रेणी में रखा गया था। आइए जानते हैं कि अगर तीन तलाक बिल को मंजूरी मिल जाती है तो उसमें किस तरह का संशोधन देखने को मिलेगा।

संशोधित बिल से जुड़ी 5 अहम बातें

- तीन तलाक को अगर मंजूरी मिल जाती है तो कानून 'गैरजमानती' बना रहेगा लेकिन आरोपी जमानत मांगने के लिए सुनवाई से पहले भी मजिस्ट्रेट से गुहार लगा सकते हैं। गैरजमानती कानून के तहत, जमानत थाने में ही नहीं दी जा सकती।

- यह प्रावधान इसलिए जोड़ा गया है ताकि मजिस्ट्रेट 'पत्नी को सुनने के बाद' जमानत दे सकें। सरकार ने साफ किया है कि, 'प्रस्तावित कानून में तीन तलाक का अपराध गैरजमानती बना रहेगा।'

- मजिस्ट्रेट तय करेंगे कि जमानत केवल तब ही दी जाए जब पति विधेयक के अनुसार पत्नी को मुआवजा देने पर राजी हो। विधेयक के मुताबिक, मुआवजे की राशि मजिस्ट्रेट द्वारा तय की जाएगी।

-पुलिस केवल तब प्राथमिकी दर्ज करेगी जब पीड़ित पत्नी, उसके किसी करीबी संबंधी या शादी के बाद उसके रिश्तेदार बने किसी व्यक्ति की ओर से पुलिस से गुहार लगाई जाती है।

- विधेयक के अनुसार, मुआवजे की राशि मजिस्ट्रेट द्वारा तय की जाएगी। एक अन्य संशोधन यह स्पष्ट करता है कि पुलिस केवल तब प्राथमिकी दर्ज करेगी जब पीड़ित पत्नी, उसके किसी करीबी संबंधी या शादी के बाद उसके रिश्तेदार बने किसी व्यक्ति द्वारा पुलिस से गुहार लगाई जाती है।

बता दे, लोकसभा में तीन तलाक बिल को लेकर बहस हो रही है। बहस की शुरूआत करते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि तीन तलाक की वजह से महिलाओं के साथ न्याय में देरी हो रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार मुस्लिम बहनों को ऐसे नहीं छोड़ सकती है। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इस मामले में सदन की आवाज खामोश नहीं रहेगी। उन्होंने कहा कि इस मामले को सियासी चश्मे से नहीं बल्कि इंसानियत और इंसाफ की नजर से देखा जाना चाहिए क्योंकि यह नारी सम्मान का मामला है। कानून मंत्री ने सदस्यों से तीन तलाक विधेयक को एक सुर में पास करने का आग्रह किया। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कोर्ट की कड़ी टिप्पणी और कानून के बाद भी यह मामले रुके नहीं है और कोर्ट के फैसले के बाद भी तीन सौ से ज्यादा मामले आए हैं।