नेवी युद्धपोत INS विक्रमादित्य में लगी आग, बुझाने के दौरान नौसेना के अधिकारी की मौत

देश के सबसे बड़े विमानवाहक पोत INS विक्रांत में आग लगने की खबर आ रही है। हालांकि, आग पर काबू पाया जा चुका है, लेकिन आग लगने से नौसेना के एक अफसर की मौत हो गई। आग उस समय लगी जब यह पोत कर्नाटक के कारवार बंदरगाह पहुंच रहा था। भारतीय नौसेना की ओर से बताया गया है कि लेफ्टिनेंट कमांडर डीएस चौहान के नेतृत्व में पोत पर लगी आग को बुझाने का प्रयास किया जा रहा था। क्रू के फौरन ऐक्शन की बदौलत पोत को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। हालांकि इस दौरान आग और धुएं के चलते लेफ्टिनेंट कमांडर अचेत हो गए। नौसेना के अधिकारी को फौरन कारवार स्थित नेवल हॉस्पिटल ले जाया गया लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। नौसेना ने आईएनएस विक्रमादित्य में लगी आग की घटना की छानबीन के लिए ‘बोर्ड ऑफ एन्क्वॉयरी’ के आदेश भी दे दिए हैं। नेवी ने एक बयान में बताया कि कुछ समय बाद ही शिप के क्रू ने आग पर काबू पा लिया। अच्छी बात यह रही कि शिप की लड़ाकू क्षमता को कोई गंभीर नुकसान नहीं पहुंचा है।

गौरतलब है कि आईएनएस विक्रमादित्य अपडेट किया गया कीव क्लास का एयरक्राफ्ट कैरियर है, जो भारतीय नौसेना में 2013 में सर्विस में आया। उज्जैन के महान सम्राट विक्रमादित्य के सम्मान में इसका दोबारा नामकरण किया गया। इससे पहले 1987 में यह तत्कालीन सोवियत नेवी में शामिल हुआ था। यह लगातार 45 दिन समुद्र में रह सकता है। इसकी हवाई पट्टी 284 मीटर लंबी और अधिकतम 60 मीटर चौड़ी है। इसका आकार तीन फुटबॉल ग्राउंड के बराबर है। 15 हजार करोड़ रुपए की लागत से बने विक्रमादित्य पर 30 लड़ाकू विमान, टोही हेलिकॉप्टर तैनात किए जा सकते हैं। विक्रमादित्य पर कुल 22 डेक हैं। एक बार में 1600 से ज्यादा जवान इस पर तैनात किए जा सकते हैं। इस पर लगे जेनरेटर से 18 मेगावाट बिजली मिलती है। इसमें समुद्री पानी को साफ कर पीने लायक बनाने वाला ऑस्मोसिस प्लांट भी लगा है।