NASA का LRO नहीं ले पाया विक्रम लैंडर की तस्वीर, बताई ये वजह

चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) के विक्रम लैंडर (Vikram Lander) से संपर्क साधने की भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (Indian Space Research Organisation - ISRO) के वैज्ञानिकों की उम्मीदें अब पूरी तरह से खत्म हो गई है। चांद पर रात होने वाली है। ऐसे में उससे संपर्क की सभी उम्मीदें लगभग खत्म हो चुकी हैं। हालाकि इसरो को उम्मीद थी कि नासा का लूनर रिकॉस्सेंस ऑर्बिटर (LRO) जो पिछले 10 सालों से चांद के चक्कर काट रहा है लैंडर विक्रम की एक और तस्वीर खींचकर भेजेगा लेकिन अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी का कहना है कि वह उसके ऑर्बिटर में लगे कैमरे की पहुंच से बाहर है। नासा के ग्रह विज्ञान विभाग के सार्वजनिक मामलों के अधिकारी ए हंदल ने कहा, 'लूनर रिकॉस्सेंस ऑर्बिटर कैमरा (एलआरओसी) ने लक्षित लैंडिंग साइट के आसपास की तस्वीरें खींची हैं लेकिन लैंडर के सही स्थान का पता नहीं चल पाया है। हो सकता है कि लैंडर का स्थान कैमरे के क्षेत्र से बाहर हो।'

विशेषज्ञों का मानना है कि लैंडर को वर्तमान परिस्थिति में एलआरओ द्वारा ढूंढ पाना बहुत कम हैं। बंगलूरू स्थित निजी कंपनी टीमइंडस के पूर्व साइंस अधिकारी जतन मेहता ने कहा, 'वर्तमान स्थिति में लैंडर को ढूंढना काफी मुश्किल होगा क्योंकि वहां पर सूर्य की रोशनी काफी कम है। लैंडर अंधेरे में कहीं छुप गया होगा। इस बात की ज्यादा उम्मीद है कि LRO जब दोबारा यहां से गुजरेगा तो उसे लैंडर विक्रम की अच्छी तस्वीर मिल जाएगी।'

अब नहीं हो पाएगा विक्रम लैंडर से संपर्क

दरहसल, 7 सितंबर को तड़के 1:50 बजे के आसपास विक्रम लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर गिरा था। जिस समय चंद्रयान-2 का विक्रम लैंडर चांद पर गिरा, उस समय वहां सुबह थी। यानी सूरज की रोशनी चांद पर पड़नी शुरू हुई थी। चांद का पूरा दिन यानी सूरज की रोशनी वाला पूरा समय पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है। यानी 20 या 21 सितंबर को चांद पर रात हो जाएगी। 14 दिन काम करने का मिशन लेकर गए विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के मिशन का टाइम पूरा हो जाएगा। आज 18 सितंबर है, यानी चांद पर 20-21 सितंबर को होने वाली रात से करीब 3 घंटे पहले का वक्त। यानी, चांद पर शाम हो चुकी है। अगर 20-21 सितंबर तक किसी तरह भी इसरो और दुनिया भर की अन्य एजेंसियों के वैज्ञानिक विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित करने में सफल हो गए तो ठीक, नहीं तो यह माना जा सकता है कि दोबारा विक्रम से संपर्क करना किसी चमत्कार से कम नहीं होगा। क्योंकि चांद के उस हिस्से में सूरज की रोशनी नहीं पड़ेगी, जहां विक्रम लैंडर है। तापमान घटकर माइनस 200 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है। इस तापमान में विक्रम लैंडर के इलेक्ट्रॉनिक हिस्से खुद को जीवित रख पाएंगे, ये कह पाना मुश्किल है। इसलिए विक्रम लैंडर से संपर्क नहीं हो पाएगा।

बता दे, इसरो (ISRO) और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) के वैज्ञानिक चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) के विक्रम लैंडर से संपर्क साधने में लगे हैं। नासा के डीप स्पेस नेटवर्क के तीन सेंटर्स से लगातार चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर और लैंडर से संपर्क बनाए हुए है। ये तीन सेंटर्स हैं - स्पेन के मैड्रिड, अमेरिका के कैलिफोर्निया का गोल्डस्टोन और ऑस्ट्रेलिया का कैनबरा। इस तीन जगहों पर लगे ताकतवर एंटीना चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से तो संपर्क साध पा रहे हैं, लेकिन विक्रम लैंडर को भेजे जा रहे संदेशों का कोई जवाब नहीं आ रहा है।

चंद्रयान-2 इसरो का दूसरा चंद्र मिशन था। सात सितंबर को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करते हुए वैज्ञानिकों का लैंडर विक्रम से संपर्क टूट गया था। लैंडर के अंदर प्रज्ञान रोवर को भेजा गया था जिसे कि सतह पर उतरकर वहां के वातावरण, भूकंप, खनिज पदार्थों आदि के बारे में जानकारी इकट्ठा करनी थी।