नए कानून किसी को बाध्य नहीं करते, ये बिल्कुल वैकल्पिक हैं: पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर जवाब दिया। पीएम मोदी ने लोकसभा में एक बार फिर किसानों को संदेश दिया है. राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि नए कृषि कानून किसी के लिए भी बाध्यकारी नहीं हैं, सभी के लिए वैकल्पिक व्यवस्था मौजूद है. इस बीच कांग्रेस सांसदों ने सदन से वॉकआउट कर दिया। मोदी के डेढ़ घंटे के भाषण के दौरान विपक्ष ने 8 बार हंगामा किया। छठी बार हंगामे के बाद मोदी तल्ख हो गए और बोले कि यह ज्यादा हो रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा, 'किसान आंदोलन की पवित्रता है। भारत में आंदोलन का महत्व है, लेकिन जब आंदोलनजीवी पवित्र आंदोलन को अपने लाभ के लिए बर्बाद करने निकलते हैं तो क्या होता है? दंगाबाज, सम्प्रदायवादी, नक्सलवादी जो जेल में बंद हैं, किसान आंदोलन में उनकी मुक्ति की मांग करना कहां तक सही है।'

'इस देश में टोल प्लाजा को सभी सरकारों ने स्वीकार किया है। उस टोल प्लाजा पर कब्जा करना, उसे न चलने देना, ऐसे तरीके पवित्र आंदोलन को अपवित्र करने का प्रयास नहीं है? जब पंजाब में टेलीकॉम टावर तोड़ दिए जाएं तो वे किसानों की मांग से जुड़े हैं? किसानों के आंदोलन को अपवित्र करने का काम आंदोलनजीवियों ने किया है। देश को आंदोलनजीवियों से बचाना जरूरी है।'

पीएम मोदी ने कृषि सुधारों पर जोर देते हुए कहा, 'जब तक हम खेती को आधुनिक नहीं बनाएंगे तब तक हम एग्रीकल्चर सेक्टर को मजबूत नहीं बना सकते। हमारा किसान सिर्फ गेहूं की किसानी तक सीमित रहे, ये भी ठीक बात नहीं। देखना होगा कि दुनिया में किस तरह से काम किया जा रहा है। एक वक्त हरियाणा का एक किसान मुझे अपने खेत में ले गया। छोटी जमीन थी उसके पास। उन्होंने मुझे दिखाया कि वो दिल्ली के फाइव स्टार होटल्स की जरूरत वाली सब्जी पैदा करते थे। उन्हें अच्छा लाभ होता था। ये तीस-चालीस साल पहले की बात है। ये कमाल की बात थी।'

मोदी ने कहा, 'विपक्ष के मुद्दे कितने बदल गए। जब हम विपक्ष में थे, तब देश के विकास के मुद्दे और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार को घेरते थे। आज आश्चर्य होता है कि विकास के मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं करता। हम इंतजार में रहते हैं कि बोलें तो हम जवाब दें।'

मोदी ने कहा कि लगातार किसानों से बातचीत होती रही। जब पंजाब में आंदोलन चल रहा था, तब भी हुई। बातचीत में किसानों की शंकाएं ढूंढ़ने का भी भरपूर प्रयास किया गया। कृषि मंत्री ने इस बारे में बताया भी है। हम मानते हैं कि इसमें अगर सचमुच कोई कमी है तो इसमें बदलाव करने में क्या जाता है। अगर कोई निर्णय है तो किसानों के लिए है। हमें इंतजार है कि वो कोई स्पेसिफिक चीज बताएं तो हमें कोई संकोच नहीं है।