
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने एक इंटरव्यू में कहा है कि देश के मुसलमान अब सिर्फ वोटर बनकर सीमित नहीं रहना चाहते, बल्कि वे भारत के विकास में सक्रिय भागीदारी निभाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी लड़ाई केवल मतदाता बनने की नहीं, बल्कि अपने हक और सम्मान के साथ एक पूर्ण नागरिक के तौर पर पहचान बनाने की है।
नागरिक अधिकारों के लिए लड़ाईहैदराबाद से सांसद ओवैसी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कहा, “हम सिर्फ वोट डालने वाले नहीं बनना चाहते, हम चाहते हैं कि देश के नागरिक के रूप में हमें भी वह सम्मान मिले जो संविधान ने सुनिश्चित किया है।” उन्होंने यह भी कहा, “हमें अधिकार चाहिए, बराबरी चाहिए, और इसके लिए जो सत्ताधारी दल अब तक शासन करते आए हैं, वही जिम्मेदार हैं।”
सड़कों पर नमाज़ पर प्रतिबंध को लेकर टिप्पणीउत्तर प्रदेश में सड़कों पर नमाज़ पर रोक लगाने के मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए ओवैसी ने सवाल उठाया कि, “कांवड़ यात्रा क्या सड़क पर नहीं निकलती? हर धर्म के लोग अपनी धार्मिक यात्राएं सड़कों पर निकालते हैं, और उन पर फूल बरसाए जाते हैं। जब सभी को अनुमति है, तो मुसलमानों को इससे क्यों वंचित किया जा रहा है?”
कश्मीरी छात्रों पर हमलों की निंदापहलगाम में हुए आतंकी हमले और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर अपनी राय देते हुए ओवैसी ने कहा, “कश्मीरी मुसलमानों ने इस हमले की खुलकर निंदा की है। यह समय सरकार के लिए एक बड़ा अवसर है कि वह न केवल आतंकवाद का जवाब दे, बल्कि कश्मीरियों को भी अपनाए।”
उन्होंने कहा कि सरकार को पाकिस्तान से तो कड़ाई से निपटना ही चाहिए, लेकिन साथ ही देश के अन्य हिस्सों में कश्मीरी छात्रों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करनी चाहिए। उन्होंने कहा, “उनके साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए और उन्हें उनके नागरिक अधिकार दिए जाने चाहिए।”