संसद की पिच से भी सचिन ने जीता दिल, वेतन और भत्ते में मिले करीब 90 लाख किए दान

राज्यसभा का 6 वर्ष का कार्यकाल खत्म होने के बाद संसद में गैरहाजिर रहने की वजह से आलोचना का पात्र बने सचिन तेंदुलकर ने सबको करारा जवाब दिया है। उन्होंने पिछले छह साल में राज्यसभा सांसद के तौर पर वेतन और भत्ते में मिले करीब 90 लाख रुपये प्रधानमंत्री राहत कोष में दान कर दिए है। पूरी राशि प्रधानमंत्री राहत कोष में दान स्वरूप देने पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी उनके नाम आभार पत्र जारी किया है जिसमें लिखा है, 'प्रधानमंत्री ने इस सहृदयता के लिये आभार व्यक्त किया है। यह योगदान संकटग्रस्त लोगों को सहायता पहुंचाने में बहुत मददगार होगा।'

बता दे, सचिन का संसद का कार्यकाल 26 अप्रैल को खत्म हो रहा है। हाल में उन्हें अन्य रिटायर हो रहे सांसदों के साथ औपचारिक विदाई दी गई। भारत रत्न से सम्मानित सचिन को 26 अप्रैल 2012 को राज्यसभा सांसद मनोनीत किया गया था। वह राज्यसभा पहुंचने वाले पहले सक्रिय खिलाड़ी और क्रिकेटर थे। उन्होंने 2013 में टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लिया था। बतौर सांसद उन्हें कांग्रेस नेता राहुल गांधी के पड़ोस में बंगला आवंटित किया गया था लेकिन उन्होंने लेने से इनकार कर दिया था। राज्यसभा में बतौर सांसद राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किए जाने के बाद सचिन तेंदुलकर और अभिनेत्री रेखा की संसद में बेहद कम उपस्थिति रही थी। जिसके चलते उन्हें कई बार आलोचना भी झेलनी पड़ी थी। कुछ माह पहले सचिन पहली बार राज्यसभा में राइट टू प्ले के बारे में भाषण देने के लिए खड़े हुए थे लेकिन सदन में हंगामे के कारण वह अपना भाषणा शूरू भी नहीं कर पाए।

तेंदुलकर ने हालांकि सांसद निधि का अच्छा उपयोग किया था। उनके कार्यालय से जारी आंकड़ों में उन्होंने देश भर में 185 परियोजनाओं को मंजूरी देने तथा उन्हें आवंटित 30 करोड़ रुपये में से 7.4 करोड़ रुपये शिक्षा और ढांचागत विकास में खर्च करने का दावा किया है। सांसद आदर्श ग्राम योजना कार्यक्रम के तहत तेंदुलकर ने दो गांवों को भी गोद लिया जिनमें आंध्र प्रदेश का पुत्तम राजू केंद्रिगा और महाराष्ट्र का दोंजा गांव शामिल हैं।