राम हमारी आस्था का विषय, हमारा मानना है अयोध्या में राम मंदिर बने : मोहन भागवत

मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए साल पर 2019 का पहला इंटरव्यू दिया जिसमे उन्होंने राम मंदिर को लेकर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा राम मंदिर निर्माण के लिए कोई अध्यादेश तभी लाया जा सकता है, जब इस पर न्यायिक कार्यवाही पूरी हो जाए। हमने अपनी पार्टी के घोषणा पत्र में कहा है कि इस मुद्दे पर संविधान के दायरे में हल निकलने का प्रयास किया जाएगा। बीजेपी की सहयोगी और विपक्ष पार्टी ने एक बार फिर मोदी सरकार पर सवालों की बोछार कर दी है। वही पीएम मोदी के बयान के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को सेवादन स्कूल के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अयोध्या में केवल राम मंदिर बनेगा। भागवत ने कहा, 'राम हमारी आस्था का विषय है और हमारा मानना है कि अयोध्या में उसी जगह राम का मंदिर बनना चाहिए।'

भागवत ने कहा कि वह आरएसएस सरकार्यवाह भैय्याजी जोशी के उस बयान का समर्थन करते हैं जो उन्होंने प्रधानमंत्री के इंटरव्यू के बाद दिया था। भागवत ने लोकसभा चुनाव के परिणामों को लेकर भी अनिश्चिता जताई। शिक्षा नीति पर बात करते हुए भागवत ने कहा, 'नीति में बदलाव होना चाहिए। इस समय नई नीति की जरूरत है लेकिन इसके लिए अब ज्यादा समय नहीं है। इसका कार्यान्वयन इस बात पर निर्भर करता है कि भविष्य में चीजें कैसा आकार लेती हैं।' इससे पहले, विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने कहा कि हिन्दू राम मंदिर पर अदालत के फैसले के लिए ‘अनंतकाल तक’ इंतजार नहीं कर सकते और इसके निर्माण की दिशा में आगे बढने का एकमात्र रास्ता कानून बनाना है।

मंगलवार को पीएम के साक्षात्कार के बाद भैय्याजी जोशी ने कहा था कि आरएसएस चाहता है कि अयोध्या में राम मंदिर बने। इसके बाद संघ प्रमुख ने कहा कि आरएसएस मंदिर मुद्दे पर उसके महासचिव भैयाजी जोशी द्वारा दिये गये बयान पर अडिग है। जोशी ने मंगलवार को कहा था कि आम जनता और सत्ता में मौजूद लोग चाहते हैं कि अयोध्या में विवादित भूमि पर राम मंदिर बने।

जब कोर्ट को ही निर्णय लेना था तो क्यों किया था मंदिर आंदोलन! : शिवसेना

पीएम मोदी के राम मंदिर बयान पर शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए सवाल किया कि क्या जनता को उसके सवालों को जवाब मिल गया है? लेख में लिखा है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ही टीवी चैनल को एक जोरदार साक्षात्कार दिया है। साक्षात्कार गिनकर 95 मिनट का था, ऐसा कहा जा रहा है। प्रधानमंत्री का साक्षात्कार लंबे अंतराल के बाद आने से ‘चर्चा तो होगी ही’। उसी तरह चर्चा जारी है। प्रधानमंत्री मोदी एक पत्रकार सम्मेलन करें और सवालों के जवाब दें, ऐसी मांग थी। लेख में आगे लिखा है, पीएम मोदी ने एक ही टीवी चैनल को साक्षात्कार देकर उसे प्रसारित किया।

प्रधानमंत्री ने जनता के मन के सवालों का जवाब दिया है, ऐसा प्रचार शुरू हो गया है। वो गलत है। राम मंदिर, नोटबंदी, शीघ्र होनेवाले आम चुनाव आदि विषयों पर वे बोले लेकिन जनता के मन के सवालों का उत्तर मिला क्या? शिवसेना का कहना है कि इन दिनों राम मंदिर का मुद्दा चर्चा में है। ऐसी उम्मीद थी कि मंदिर के बारे में मोदी कोई महत्वपूर्ण घोषणा करेंगे और अयोध्या में प्रभु श्रीराम का वनवास खत्म कराएंगे, मगर मोदी ने बिल्कुल विरुद्ध नीति अपनाई है।

राम मंदिर के लिए अध्यादेश निकालो, ऐसी मांग राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद सहित शिवसेना ने की थी। मोदी ने इसे साफ ठुकरा दिया है। मोदी ने कहा, कुछ भी हो जाए मगर अध्यादेश नहीं लाऊंगा। राम मंदिर का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्णय देने के बाद ही अध्यादेश पर विचार किया जाएगा। मोदी ने यह बात स्पष्ट कर दी, यह अच्छा हुआ और पिछले 4-5 वर्षों में पहली बार वे सच बोले हैं। राम मंदिर उनके लिए प्राथमिकता का विषय नहीं।