
बारां। राजस्थान के बारां जिले की अंता विधानसभा सीट से भाजपा विधायक कंवरलाल मीणा ने आखिरकार बुधवार को ट्रायल कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया। कोर्ट ने उन्हें झालावाड़ जिले की अकलेरा जेल भेजने का आदेश दिया। विधायक को वर्ष 2005 में दर्ज एक आपराधिक मामले में तीन साल की सजा सुनाई गई थी। सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिलने के बाद ट्रायल कोर्ट ने उन्हें 21 मई तक सरेंडर करने का निर्देश दिया था।
मामला फरवरी 2005 का है, जब झालावाड़ के मनोहर थाना क्षेत्र में उपसरपंच चुनाव के बाद पुनर्मतदान की मांग को लेकर ग्रामीणों ने रास्ता जाम कर रखा था। मौके पर पहुंचे प्रशासनिक अधिकारियों—तत्कालीन एसडीएम रामनिवास मेहता, प्रोबेशनर आईएएस डॉक्टर प्रीतम बी. यशवंत और तहसीलदार—से बातचीत के दौरान हालात बिगड़ गए। आरोप है कि कंवरलाल मीणा अपने समर्थकों के साथ वहां पहुंचे और उन्होंने एसडीएम की कनपटी पर पिस्टल तान दी। साथ ही दोबारा मतगणना की घोषणा नहीं होने पर जान से मारने की धमकी दी।
घटना के दौरान विधायक पर विभागीय फोटोग्राफर का कैमरा तोड़ने और आग लगाने का भी आरोप है। यही नहीं, उन्होंने आईएएस अधिकारी का डिजिटल कैमरा भी जब्त कर लिया था, जिसे बाद में लौटाया गया।
ट्रायल कोर्ट ने वर्ष 2018 में कंवरलाल को इस मामले में बरी कर दिया था, लेकिन अपील पर सुनवाई करते हुए अकलेरा की अपर जिला एवं सत्र न्यायालय ने 14 दिसंबर 2020 को उन्हें दोषी ठहराते हुए तीन साल की सजा सुना दी। इसके खिलाफ उन्होंने राजस्थान हाईकोर्ट में अपील की, जिसे खारिज कर सजा को बरकरार रखा गया। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी 7 मई 2025 को विशेष अनुमति याचिका (SLP) खारिज कर दी, जिससे उन्हें कोई राहत नहीं मिली।
सुनवाई के दौरान विधायक के वकील नमित सक्सेना ने दलील दी थी कि घटना स्थल से कोई हथियार बरामद नहीं हुआ और न ही कोई वीडियो सबूत मौजूद है। उन्होंने संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोपों को भी बेबुनियाद बताया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इन दलीलों को खारिज करते हुए दो सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण का निर्देश जारी किया।
इस पूरे मामले में एक और अहम पहलू विधायक की आपराधिक पृष्ठभूमि को लेकर रहा। हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी की थी कि उनके खिलाफ पहले भी 15 आपराधिक मामले दर्ज रह चुके हैं, भले ही उनमें से अधिकांश में उन्हें दोषमुक्त कर दिया गया हो।
इसी बीच, कंवरलाल मीणा की विधायकी को लेकर राजनीतिक हलकों में चर्चाएं तेज हो गई हैं। हाल ही में राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे से विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी की मुलाकात ने अटकलों को और हवा दी है। माना जा रहा है कि यह बैठक कंवरलाल के संभावित निलंबन या दया याचिका को लेकर थी, हालांकि इस संबंध में कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।