केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर के खिलाफ लगभग 10 पत्रकारों ने #MeToo कैंपेन के तहत यौन शोषण का आरोप लगाया है। इसके बाद उनपर इस्तीफे का दबाव बढ़ गया है जिसके बाद केंद्र सरकार और भाजपा जल्द ही कोई फैसला ले सकती है। भारत लौटने के बाद अकबर खुद पर लगे यौन शोषण के आरोपों पर बोलने से बचते नजर आए लेकिन अब चुप्पी तोड़ते हुए मंत्री ने कहा 'चुनाव से पहले इस तरह के आरोप लगाना एजेंडा हो सकता है। एमजे अकबर ने कहा,'#MeToo के तहत मुझपर बेबुनियाद आरोप लगाए गए हैं, जिससे मेरी इमेज को नुकसान पहुंचा है। मुझपर झूठे आरोप लगाने वाली महिलाओं कानूनी कार्रवाई करूंगा।'
#Metoo के तहत यौन शोषण के आरोपों का सामना कर रहे केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर के इस्तीफा देने की खबर है। सरकार से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, अकबर ने ईमेल के जरिए अपना इस्तीफा भेजा है। अकबर मोदी सरकार में विदेश राज्य मंत्री हैं और रविवार सुबह ही नाइजीरिया दौरे से देश लौटे हैं। बताया जा रहा है कि इस्तीफा भेजने के साथ ही उन्होंने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मिलने का समय भी मांगा है।
बता दें कि इस मामले में पीएम नरेंद्र मोदी ने अभी तक कुछ नहीं कहा है। पीएम की चुप्पी पर निशाना साधते हुए कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा, "प्रधानमंत्री जो हर मुद्दे पर बोलते हैं वह #MeToo पर चुप हैं। उनकी यह चुप्पी पीएम कार्यालय की गरिमा पर सवाल उठाती है। देश इंतजार कर रहा है कि पीएम मोदी कब इस मुद्दे पर अपना रुख साफ करेंगे।”
भारतीय जनता पार्टी ने इस मामले में अब तक पर चुप्पी साध रखी है। पार्टी के सूत्रों का कहना है कि उनके खिलाफ आरोप गंभीर हैं ऐसे में वो आगे मंत्री पद पर काबिज रहेंगे या नहीं इसपर अभी संशय है। उन्होंने कहा कि इस मामले पर अंतिम फैसला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लेंगे। वहीं रविवार को नागपुर में जब पत्रकारों ने परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से इस संबंध में सवाल पूछा तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
बता दें कि महिलाओं पर यौन शोषण के खिलाफ शुरू हुए #MeToo कैंपेन के तहत सामने आ रहे मामलों की जन सुनवाई के लिए बहुत जल्द कमिटी गठित की जाएगी। महिला व बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि रिटायर्ड जजों की चार सदस्यीय कमिटी इन सभी मामलों की सुनवाई करेगी।